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________________ या : न गर १९५६ : : tee : ... तीन महीने तक हो सकता है, व जुर्मानेका कानूनका उदेश्य व आवश्यकता दंड होगा. (२) इस धाराके लिये, ज बतक काइ विरोधी कुछ दम्भी व्यक्ति छोटी उम्रके बालकबात प्रमाणित न हो यह मान लिया जायेगा बाल A बालिकाओंके साधु-साध्वी बनानेके कार्यमें सलग्न कि जहां किसहे बालककी दीक्षा हुई है। हैं जब कि ऐसे बालक इस प्रकारकी दीक्षाके वहां उस बालकके लिये जिम्मेवार व्यक्तिने । . फल व नतीजोंको समझने व जानने में असमर्थ होते हैं। कभी-कभी ऐसी दीभाओंका व्यक्तिपर अपने कर्तव्यकी अबहेलना करते हुए सन्यास बडा बुरा असर होता है और समाज पर उसका दीक्षाको नहीं रोका है। गहरा प्रत्तिधात होता है। ५. इस कानूनके अन्तर्गत गुनाहोंकी जामन हो सकेगी। ____ बच्चोंकी कम उम्रका दुरुपयोग न हो व बचपन व जवानीको स्वार्थ पूर्ति व नैतिक और ६. (१) इस कानूनमें कोई विरोधि बातके होनेपर भौतिक साधनोंके परित्यागसे बचाने के लिये भी अगर अदालतका किसी शिकायत या इस प्रकारकी प्रथाको अत्यन्त शीघ रोकना आवअन्य तरीकोंसे प्राप्त खबरसे सन्तोष हे। जाये कि एक बालककी दीक्षाका प्रबन्ध दिलानेवालोंको व सन्यास दीक्षावाले बालकके श्यक है । यह बिल बच्चोंको दीक्षा देने व हआ है या होने का है तो धारा ३ और ४ मे अभिभावकोंको दंडित करनेकी व्यवस्था करता लिखित व्यक्तियों पर सन्यास दीक्षाका राकन है। यह बिल बाल सन्यास दीक्षाका रद्द करा के लिये निषेध आज्ञा जारी कर सकती हैं। देनेकी भी व्यवस्था करता है । बाल सन्यास (२) अदालत निजमें या किसी व्यक्तिकी दर दीक्षाको रोकनेके लिये निषेध आज्ञा जारी खास्त पर यह आदेश दे सकती है कि वह करना व बच्चोंकी रक्षण संरक्षण आदिकी व्यवस्था व्यक्ति जिसके संरक्षणमें बालक है उस भी इसमें है। (जैन भारती) बालक को नियुक्त समय व स्थान पर उस આવા બીલે નાબુદ કર્યો જ છૂટકો! ध्यक्तिके हवाले, जिसका अदालत आदेश બીલમાં ૧૮ વર્ષની અંદર સુધીનાને “બચ્ચા ” दे , या करवा दे और उस बच्चेकी रक्षा व શબ્દથી ઓળખવામાં આવે છે, એ આજે કોણ संरक्षण व खर्चके लिये उपयुक्त आदेश दे સુજ્ઞ માનવ માનવા તૈયાર થશે? તેમજ ૭મી કલમમાં सकती है। જણાવ્યું છે કે, આ કાયદા પહેલાં પણ જેઓએ ७. इस कानूनके लागू होनेके पहले या बादमें पाहीक्षा सीधा अश, तेमानी al- ५४ २६ गाशे. हुई बाल सन्यास दीक्षा रद्द समझी जायेगी। पापा याया शोधयाभिस्वातयां मान८. क्रिमिनल प्रोसीडार काडकी धारामें किसी नारी प्रल २वी २१ तैयार यशे ? सो प्रकारका अन्य उल्लेख रहनेपर भी प्रेसिडेन्सी मुंह सुधी पशु धर्म संस्कृतिप्रेमी त्या मेजिष्ट्रेटके नीचेकी अदालत इस कानूनके श्रापूर्व भाननार न पोतानां सर्वस्व मागे अन्तर्गत अपराधोंका विचार नहीं करेगी। ५९५ यावा यासाने सावता १३२ २५८४ी देश ! ९. क्रिमिनल प्रोसीडार कोडमें किसी प्रकारका सुधारे।. उल्लेख रहनेपर भा कानूनक अन्तगत अपरा- सावश्य/भुगावलिनी समालोयना गया मां धेका प्रेसिडेन्सी मेजिष्ट्रट व प्रथम श्रेणी भापीछे, तभी मुल सुधा। समावा. के मेजिष्ट्रेट जिसकी सीमामें अपराधी पुस्त. भलिभाविय महाश्री र व्यक्ति पाया जाये विचार कर सकते हैं। साधु-साधी महाशलेने मारवामां आवछ.
SR No.539155
Book TitleKalyan 1956 11 Ank 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomchand D Shah
PublisherKalyan Prakashan Mandir
Publication Year1956
Total Pages58
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Kalyan, & India
File Size13 MB
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