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________________ अनेकान्त/३६ ५४ इत्याशाधर विरचित-धर्मामृतनाम्नि सूक्ति-सग्रहे योगो द्दीपनयो नामाष्टादशोऽध्याय । अध्यात्मरहस्य, प्रस्तावन, पृ६ ५५ वर्ष २८, अक ५ मई १६६३. कोटा, राजस्थान। ५६ नलकच्छपुरे श्री मन्नेमि चैत्यालये ऽसिधत। विक्रमाब्दशतेष्वेषा त्रयोदशसु कार्तिके।। अनागार धर्मामृत टीका, श्लोक ३१ ।। ५७ प्रमारवशवा?न्दु देवपाल नृपात्मजे । श्री मज्जैतुगि देवरिसथाम्रा ऽवन्तीन ऽवत्यलम् ।। वही ३० ५८ अनुष्टुप छन्द सामारया प्रमाण द्विशताधिकै सहस्त्रैद्वादशमिते विज्ञेयमनु मानत वही ३२ सोहमाशाधरोऽकर्ष टीका मेता मुनि प्रियाम् । स्वोपज्ञ धर्मामृतोक्तयति धर्म प्रकाशिनीम् ।। वही २० खडिल्यान्वयकल्याण माणिभ्य विनयादिमान् । साधु पापाभिध श्रीमानासीत् पापपराड मुख ।। तत्पुत्रो बहुदेवाऽ भूदाद्य पितृभरक्षम । द्वितीय पम्दसिहश्च पदमालिगित विग्रह ।। वही २३-२४ ६१ बहुदेवात्मजाश्चासन् हर देव स्फुरदगुण । उदयी स्तम्भ देवश्च त्रयस्त्रैवर्गिकादादृता ।। मन्दबुद्धि प्रबोधार्थ महिचन्देण साधुना। धर्मामृतस्य सागार धर्म टीकास्ति कारिता ।। तस्यैव यतिधर्मस्य कुशाग्रीयधियामपि। सुदुर्बोधस्य टीकायै प्रसाद क्रियतामिति ।। हरिदेवेन विज्ञप्तो धणचन्द्रो परोधत । पडिताशाधरश्चक्रे टीका क्षोदक्षमामिमाम। वही, २५-२० ६२ मुख्य सपादक बघेरवाल सन्देश (अ मा दि जैन बघेरवाल संघ वर्ष २८ अक ५ मई १६६३) प्रस्तावना पृ ५३ ६३ -योतिर्विद आशाधर (बघेरवाल सदेश, २८/५, मई १६६३ पृ ५३ ६४ (क) प कैलाशचन्द शास्त्री अनागार धर्मामत. प्रस्तावना, प ४२ (ख) प नाथूराम प्रमी जेनसाहित्य एव इतिहास (ग) प जुगल किशोर मुरतार आत्म रहस्य, प्रस्तावना, पृ 32--३७ ६५ अनागार धर्मामृत प्रस्तावना पृ ५२
SR No.538047
Book TitleAnekant 1994 Book 47 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1994
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size6 MB
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