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________________ अनेकान्त/२८ धर्म के स्वरूप का वर्णन किया गया है दूसरे अध्याय मे ११४ श्लोको के द्वारा सम्यक्त्वोत्पादनादिक्रम का ज्ञानाराधना नामक तीसरे अध्याय २४ श्लोक चरित्राराधन का वर्णन चतुर्थ अध्याय मे १८३ श्लोको मे . पिण्डुशुद्धि नामक पॉचवे अध्याय मे ६६ श्लोको के द्वारा भोजन सम्बन्धी समस्त दोषो का विस्तार से निरूपण कर के साधु कानिर्दोष भोजन करने योग्य बतलाया गया है। छठे अध्याय मे एक सौ बारह श्लोक इसका नाम मार्ग महोयोग है। तपाराधना नामक सातवे अध्याय मे १०४ श्लोक द्वारा १२ तपो का वर्णन है। आठवे अध्याय का नाम आवश्यक है। इसमे१३४ श्लोको मे साधु के छह आवश्यक-सामायिक, स्तव, वन्दना, प्रतिक्रमण प्रत्याख्यान और कायोत्सर्ग का वर्णन है । नौवे अध्याय मे नित्यनैमित्तिक क्रियाओ का वर्णन १०० श्लोको मे हुआ है । इस प्रकार इसमे कुल ६५४ श्लोक है। ज्ञानदीपिका उन्होने सस्कृत पञ्जिका भी स्वोपज्ञ लिखी थी। सागार धर्मामृत ग्रहस्थधर्म का निरूपण आठ अध्यायो मे हुआ है। इसका विस्तृत विवेचन आगे करेंगे ३२ । (४) अष्टांग हृदयोद्योत : ‘वाग्मटसहिता' अष्टाग हृदय नामक आयुर्वेद ग्रन्थ जिसकी रचना 'वाग्भट' ने की थी, को व्यक्त करने के लिए आशाधर ने अष्टाग हृदयोद्योत नामक टीका लिखी थी ३३। यह ग्रन्थ उपलब्ध नही है। (५) मूलाराधना टीका : आचार्य शिवकोटि की कृति 'भगवती-आराधना' नामक ग्रन्थ पर आशाधर ने सस्कृत मे मूलाआराधना दर्पण नामक टीका लिखी थी ३४ इस टीका के अतिरिक्त एक टिप्पणी और प्राकृत टीका तथा प्राकृत पचसग्रह ग्रेन्थ भी लिखे थे। (६) इष्टोपदेश टीका : पूज्यपादाचार्य द्वारा रचित इश्टोपदेश पर आशाधर ने सस्कृत मे टीका लिखी थी ३५ । आशाधर ने विभिन्न ग्रन्थो से श्लोको को उद्धृत ग्रन्थ के हार्द समझाने का प्रयास किया हैं। इसका पहलीवार प्रकाशन माणिकचन्द्र ग्रन्थमाला बम्बई से तत्वानुशासनादि सग्रह मे हुआ था। इसके बाद सन् १६५५ मे वीर सेवा मंदिर सोसाइटी दिल्ली से ग्रन्थाडक ११ के रूप मे हिन्दी टीका सहित हुआ। इसके सम्पादक जुगल किशोर मुख्तार है। (७) अमरकोष टीका ३६ : यह अनुपलब्ध है। (८) क्रिया कलाप इसकी हस्तलिखित पाण्डुलिपि पन्नालाल सरस्वती भवन बम्बई मे है। (६) आराधनासार टीका ३७ : यह उत्कृष्ट कृति भी अप्राप्त है। जयपुर मे इसकी हस्तलिखित प्रति मौजूद है। (१०) भूपाल चतुर्विशतिका टीका : यह अप्रकाशित है। (११) काव्यालंड.कार : रूद्रट के काव्यलकार पर आशाधर ने सस्कृत मे टीका लिखी की जो अनुपलब्ध है ३८ ।
SR No.538047
Book TitleAnekant 1994 Book 47 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1994
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size6 MB
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