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४२.४ (भीयानाम)
तीर्थ यात्राथें अवश्य पधारें । બાહી શાં િચંદ્રસુરીશ્વરજી મના સમુદાયના
सम्मेत शिखरजी जामेवाले यात्रिगणों को सूचित પં. શ્રી જે. વિ. યજી મ. તથા મુનિશ્રી રાજશેખર
किया जाता है कि निम्न तीर्थो पर अवश्य पधारे। વિજયજી મ. ઠા. ૨ નો અ, સુદ ૪ના ખત્રે ધામધુમથી યાતમીસ પ્રવેશ થયેલ છે. પ્રવેશ નિમિતે શ્રીસંઘ તરફથી
(१) कम्पिलाजी- यह भारत के उत्तर प्रदेश
|का एक ऐतिहासिक प्राचीन तीर्थं है। यहां पर બાયબલ કરાવવા આવતા ૧૧૫ની સંખ્યા થઈ
तेरहवे तीर्थ कर श्री विमलनाथ भ० के चार હતી. વ્યાખ્યાનમાં ધર્મપત્ર પ્રકરણ તથા ભીમસેન ચરિત્ર તેમ જ રાતના માર્ગનુસારીના ૩૫ ગુણેનું વર્ણન
कल्याणक (च्यवन, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान) तथा महाभारत ७.१२ २विवारे शभायहुए है। प्राचीन समय में इसका नाम द्रपदनगर ઉપર જાહેર વ્યાખ માન થાય છે. વ્યાખ્યાનવાણીથી
था। यहां का राजा टुपद था, जिसके यहां महाપ્રભાવિત થઈ જેન તેમ જ જૈનેતર સારી સંખ્યામાં
सती दौपदी (पांडव पत्नी) का जन्म हुआ था। कायमगज स्टेशन से ६ मील दूर कम्पिलाजी तोथ
है। यहां पर तांगा व बसे मिलती हैं। મ, વદ ૬ના વા છતવિજયજી મ.ની સ્વર્ગ
(२) फरूखाबाद- यहां श्री धमनाथ भ० का ७५ तिथि निभा २०४गुना शा २भयुमा छान | प्राचीन मंदिर व धमज्ञाला है। जिसका जीर्णोद्धार ete तथा माया वामा सावता 3.0नी श्री जैन श्वेताम्बर महासभा-उत्तरप्रदेश ने कराया है।। સંખ્યા થઈ હતી. બડ રના ભાઇએ પણ માય'બિલને
| (३) लखनऊ-शहादत्तगज में पसरहा गली। લાભ લીધો હતો.
| में श्री सुबाहुनाथ भ० का प्राचीन मदिर है। यहां વિAવનંદીકર સંઘ-પાલડી-અમદાવાદ
|का जीर्णोद्धार भी श्री जैन श्वेताम्बर महासभाध्यानस्थ स्व. मागमा भा०श्री मान | उत्तरप्रदेश ने कराया है। સાગરસૂરીશ્વરજી મ. ૧ જન્મશતાબ્દીદિન નિમિતે મુનિ- (४) इलाहाबाद (पुरमताल)- १२० बाई का ૨ાજશ્રી ગૌતમસાગર છ મ૦ બાદિની નિશ્રામાં ગુણા- बाग, जहां श्री ऋषभदेव भ० का प्राचीन मंदिर નવાદ સભા રાખવામાં આવી હતી. તેમના જીવન ઉપર है। यहांपर श्री आदीश्वर भ० का कैवलज्ञान प्राप्त મુનિશ્રી શશિ પ્રભસા રજીએ સુંદર પ્રકાશ પાડયો હતો | | हुआ था। इस अवसर्पिणी काल का प्राचीन तीर्थ' है। પંડિત શ્રી મફતલાલ બાઈએ પ્રસંગોચિત વિવેચન યુ" | (५) कोसम्बी- यह इलाहाबाद से ३५ मील હતું. પૂજા પણ ભ વવામાં આવી હતી.
की दूरी पर है, जहां चंदनबालाने भ० महावीरહિંમતનગર (સાબરકાંઠા)
स्वामी को बाकले से पार कराया था। यहां भी मा.श्री धि-२ि० भ०। समुदायन। मुनिश्री | मदिर बना हुआ है । धर्मशाला बनाना है इसके अविय, मुनिश्री सुधावि40 मात्रे | लिये तीन लाख रू. की आवश्यकता है। दानी सस्वागत भातुमास पाया छ. ०याण्यानमा वि५13- | सज्जन से प्रार्थना है कि दान देने की कृपा करे। सुत्र तथा श्रीमात्र यास . सारे। अतः आप सब यात्री भाईयों से प्रार्थना है कि
na. पत्र.. श्री नीतिसूरि म.ना समु- इन उपरे।क्त तीर्थो पर दर्शन कर पुण्य के भागी बने। દાયના સાધ્વીશ્રી કુસુમશ્રીજી અાદિ ઠા. ૭ બિરાજે છે. निवेदक :--- रतनलाल एडवोकेट (प्रधान) બહેનોમાં ઉત્સાહ સા રો પ્રવર્તે છે.
जगमदरदास जैन (सयोजक)
-२२०७, कुचा आलमचंद, किनारी बाजार, दिल्लीअवसरन ता ४२।। नाड.... |तीद्धारक सब कमटी : अमाश भाभी प्राट यना। पयुष पास सभi श्री जैन श्वे. महासभा-उत्तरप्रदेश ondna म ने असर त ४२॥ नाल | हस्तिनापुर ( मेरठ-यू. पी.) व.१९-८-७५