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________________ नमो नमो नाणदिवायर स् राजस्थान के प्रमुख शहर जोधपुर में कन्याओं के नैतिक और आध्यात्मिक जागरण के लिये है 5 प्रथम सुनहला अवसर फ तपस्वी पन्यास प्रवर श्री मंगलविलयजी म० स० की आज्ञानुवर्तिनी विदुषो जैन साध्वीजी श्री निर्मलाश्रीजी एम. ए 'साहित्यरत्न के सान्निध्य में ( मिडिल कक्षा से कालेज में अध्ययन करती हुई बहिन के लिये ) * श्री संस्कार -अध्ययन सत्र * ( कन्या - शिबिर ) का भव्य आयोजन : स्थल : श्री भैरुबाग पाश्वनाथ जैन तीर्थ सरदारपुरा, जोधपुर, प्रत्येक रविवार को दोपहर में १-३० से ४-३० बजे तक ( कार्यक्रमों की समय-समय पर सूचना दी जावेगी ) -: प्रयोजक :श्री भैरुबाग पार्श्वनाथ जैन तीर्थ, जोधपुर फेन - 21886 ५२८ ] युवको के आध्यात्मिक विकास हेतु श्री अस्थिरमुनिजी महाराज का -: ग्यारह सूत्री कार्यक्रम : १ - प्रत्येक युवक को प्रतिदिन प्रातः जिनेश्वरदेव के दर्शन करके अथवा एक नवकार मंत्र की पूरी माला गिनकर मुंह में अन्न - जल ग्रहण करना चाहिये । २- प्रत्येक युवक के सप्ताह में कम से कम एक बार रविकार का ) जिनेश्वरदेव की पूजा अथवा एक सामायिक करना चाहिये । ३ - प्रत्येक युवक का प्रतिदिन कम से कम एक घंटे तक जोवन के सदृश्य धार्मिक स्वाध्याय करना चाहिये । ४- प्रत्येक युवक के हर अष्टमी एवं चतुदशी के दिन हरी सब्जियों का तनिक भी सेवन नहीं करना चाहिये । ५- प्रत्येक युवक का सप्ताह में कम से कम एक बार (रविवार को ) गर्म पानी का एकासना करना चाहिये व उस दिन भोजन में केवल रोटी व एक हीं सामान्य सब्जी का प्रयोग करना चाहिये । ६ - प्रत्येक युवक को बीमारी या अति आवश्यक परिस्थितियों का छोडकर रात्रि में पानी के अतिरिक्त अन्य किसी भी खाने-पीने की वस्तु का प्रयोग नहीं करना चाहिये । ७- प्रत्येक युवक को खाने-पीने की समस्त मादक वस्तुओं का (जैसे घूम्रपान, तम्बाकू, भांग आदि) पूण त्याग कर देना चाहिये । ८ - प्रत्येक युवक का सम्पूर्ण जीवन प्रर्यन्त तक पान न खाने का नियम ग्रहण करना चाहिये व मास में एक से अधिक बार सिनेमा नहीं देखना चाहिये । ९ - प्रत्येक युवक को सप्ताह में दो से अधिक बार मैथुन सेवन (सभोग) नही करना चाहिये तथा पर्व तिथियों में पूर्णं ब्रह्मचय पालन करना चाहिये । १० – प्रत्येक नगर में आध्यात्मिक स्तर पर युवक मंडलो की स्थापना को जावे व अध्यात्मिक प्रवृत्तियों को जैसे सामूहिक आध्यात्मिक गोष्टियां, सामूहिक सामायिक अथवा पूजन सामूहिक तपस्या (आयंबिल निवि आदि) को प्रोत्साहित किया जावे । ११ - प्रत्येक युवक को अपने जीवन का आधा स्तंभ सादा जीवन उच्च विचार (Simple Liwing High "hinking) बनना चाहिये । "1 जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ श्री शिवजीराम भवन मोतीसिंह भोमियों का रास्ता, जयपुर [ पर्युषण : नैन :
SR No.537870
Book TitleJain 1973 Book 70 Paryushan Visheshank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Devchand Sheth
PublisherJain Office Bhavnagar
Publication Year1973
Total Pages138
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Weekly, Paryushan, & India
File Size16 MB
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