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तथापि बाला यह राजकन्या
सारे मनोभाव छिपा रहोथी, अत्यन्त ही व्याकुल हो रहीथी,
'प्रसन्न हूं'पै दिखला रहीथी, मनारहीथी शत देवताको, . महेश मृत्युञ्जय ध्या रहोथी, • सुना रहीथी हरिको हियेसे ___“विनाश कीजे सब भीति मेरी उबार लीजे, कुछ ध्यान दीजे, __ हरे मुरारे जगदीश प्यारे । श्रीनाथ गोलोक-पते दयालो
है लाज मेरी करमें तुम्हारे." यांही जरासा दिन आ गया था ____आज्ञा पिताकी गह सत्यवान, तैयार जाने वनको हुआ ज्यों
लाने महात्मा समिधा वहांसे,
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