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________________ श्री वैनशासन (सहपाडीङ) प.पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजय दर्शन रत्न सूरीश्वरजी महाराजाकी पावन निश्रामें प. पू. परमकृपालु आचार्यदेव श्रीमद् विजय महाबल सूरीश्वरजी म.सा. की पृण्य कृपा कोटा (राजस्थान) में आषाढ़ सुद ३ दि. २७-२००३ को चातुर्मास प्रवेश सिद्धितप ३० उपवास, १६ ९, ८, उपवास आदि तपस्या कोटा में हुई। तपस्वियों का रोज बहुमान होता था। संघपूजन भी बहुत हुए। मुनिराजश्री किरण रत्न विजयजी म.सा. ने १६ उपवास किये। परम पूज्य सुविशाल- गच्छाधिपति आचार्य देव श्रीमद् विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. सा. की १२वी स्वर्गतिथि की उजमणी, पूजा एवं संघपूजन, पूज्यश्री के फोटो का अनावरण एवं पू. महातपस्वी आचार्यदेव श्रीमद् विजय राजतिलक सूरीश्वरजी म. की भी उजमणी हुई, संघ पूजन भी हुए। पर्युषणमें स्वन द्रव्य का रेकोर्ड, पूजा- द्रव्य की बोलीयाँ सर्वप्रथम हुई । वर्ष : १५ : ता. - १२ २००३ चांदमलजी आगरवाले, साध्वीजी मैत्रीसुधा श्री सी के संसारी भाई बहेन, तपागच्छ जैन श्री संघ कोटा, श्रीपा श्री सिंघवी के तरफ से हुए । महोत्सव में वेप्स मंडल पिंड़ गाडा वालने भव्य आंगी बनाई। जो कोटा के इतिहासमें स प्रिथम थी। महोत्सव में कोटा की जनता उमट पड़ी थी, निक पत्रोमें हंमेशा समाचार छापते थे । जनता का कना था कि गच्छाधिपति के चातुर्मास में जो उत्साह व भी नहीं होती वह इस महोत्सव ने नया रेकोर्ड स्थापित किय था । प. पू. तपागच्छाधिपति आचार्य देव श्रीमद् विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी महाराजाकी दिव्य कृपा के एवं प. पू. वात्सल्य - महोदधि आचार्यदेव श्रीमद् विजय महाबल सूरीश्वरजी म.सा. के आशीर्वाद से प.पू. प्रवर्तिनी स्व. साध्वीजी खान्तिश्रीजी म. की सुशिष्या स्व. साध्वीजी किरण प्रज्ञाश्रीजी म. की सुशिष्या प्रवर्तिनी साध्वीजी हर्षित प्रज्ञा श्रीजी म.सा. की सुशिष्या साध्वीजी चेतोदर्शिता श्रीजी म. की निश्रावर्तिनी साध्वीजी मैत्रीसुधा श्रीजी की निरंतर १७०० आयम्बिल की पूर्णाहुति कार्तिक वद २ रविवार दि. १२१०-०३ को प.पू. वर्धमान तपोनिधि आचार्यदेव श्रीमद् विजय दर्शनरत्न सूरीश्वरजी म.सा. की शुभ निश्रामें कोटा (राजस्थान) में हुआ । इस निमित्त ४ महापूजनों एवं उजमणे के साथ सप्ताह्निका महोत्सव का आयोजन किया गया। ४५ माहमि वात्सल्य हुए। महापूजनों का लाभ सत्यपालजी लोढ़ा, तपस्वी साध्वीजी के भाई बहेन परिवार, चांदमलजी आगरवाले, श्रीपालजी सिंधी आदिने लिया चतुर्विध संघ के गले की बोली बोलकर कंचनबेन चुन्नीलाल धनाजी धाणसावालोंने लिया जो तपस्वी साध्वीजी मैत्रीसुधाश्री की संसारी बड़ी बहेन है। गुरूपूजन की बोली का लाभ भी आपने या एवं गुरू का नवांगी गुरुपूजन किया। गुरू को शास्त्र साध्वीजीके संसारी भाई प्रकाशचंद्रजी वीरचंदजी शिवगंज वालोने बहोराया । महोत्सवमें साहमिवात्सल्य का लाभ SciBici 928 कार्तिक वद १ दि. ११ - १० - २००३ वा संघपूजन साध्वीजी अक्षयरूचिता श्रीजी के सदुपदेश से शाह खुशदिलसिंहजी मारवाडी, उदयपुर वाले तथा बसन्ती लालजी बोला ने उपधान के तपस्वियो को माला की प्रभावना एवं उपधान नीवि में व संघ पूजन में लाभ लिया। उपधान के तपस्वियों को सत्यपालजी लोढ़ा तथा एक र द्गृहस्थ के तरफ से दो बेटका (कटासणा) चरवला, मुंह पति, माला आदि अर्पण करने में आये है। दीपकभाई शंखे र वालों की तरफ से माला तथा प्रभु प्रतिमा उपधान वालों क भेंट में दी। कार्तिक वद २ दि. १२-१०-२००३ क संघपूजन प्रकाशचंद्र, अशोकचंद्र वीरचंदजी, मन जकुमार, कान्तिलालजी हसमुखकुमार, चुनीलालजी ज् मतराजजी वजाजी, दिलीपकुमार चुन्नीलालजी, ओटीबेनावतरामजी सरत, कंचनबेन चुन्नीलालजी धागसा, मंचीबेन शांतिलाल कान्तिलाल बद्रीलालजी अंजुबेन हसमुखलाल जी के तरफ से हुए थे। साध्वीजी चेतोदर्शिता श्रीजी के १००८ सायंबिलकी पूर्णाहूति मागसर वद १२ दि. २१-११-२००३ को कोटा में होंगी उस निमित्त सेठ पुरवराजजी कानाणी तफ से पूजा स्वामिवात्सल्य कोटा में होगा । चातुर्मास में साध्वीजी चरणप्रज्ञाश्रीजी के संसारी पिताजी वगतावरमल जी मुथा के तरफ से संघपूजन, गुरुपूजन हुआ था। उपधा 'सी माला मागसर वद १३ दि. २२-११-२००३ को होगी
SR No.537269
Book TitleJain Shasan 2003 2004 Book 16 Ank 01 to 48
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
PublisherMahavir Shasan Prkashan Mandir
Publication Year2003
Total Pages382
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shasan, & India
File Size23 MB
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