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श्रीन शासन (6वाडीs).वर्ष:१४.s:35. ता.१२-9-२००२
खूदाई के दौरान प्रभु महावीर की प्रतिमा कलाकृतियां एवं अवशेष मिले
- श्वे. जैन, अजीतकुमार सराक बलियापुरा पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के | कमरे ८-८ फीट लंबे चौड़े हैं, जबकि तीसरे कमरों पुरुलिया मुफस्सिल थाना क्षेत्र के कुसटांड गांव के | की लम्बाई - चौड़ाई १२-१२ फीट है । मदिर का नजदीक चारों ओर हरी-भरी फसलों के बीच एक | निर्माण भी पत्थरों से ही किया ग सुनसान, खेत के बीच करंज पेड़ के नीचे पिछले १९ | खुदाई के दौरान पायी गयी कलाकृतियों में एक
अगस्त को ग्रामीण द्वारा खुदाई के दौरान मिले प्राचीन | बड़ा तथा दो छोटे कलश भी हैं, जो देखने में काले * s, कलाकृतियां तथा अवशेष पूरे जिले में ही नहीं इसके | पत्थर से बनाये प्रतीत होते हैं, बड़ा कलश साढ़े चौबीस आसपास के इलाकों में भी चर्चा का विषय बन चुकी ईच का है जबकि छोटा कलश क्रमश: साढ़े १३ ईच
तथा २० ईच का है। कलशों को पान पत्तों के आकार । खुदाई के दौरान पाये गये प्राचीनकालीन से सजाया गया है, जो काफी आकर्षक है, वही महावीर Ho, कलाकृतियां तथा मूर्तियां काभी आकर्षक दंग से बनी | की सिरविहीन मूर्ति की ऊंचाई साढ़े चौतीस इंच है।*
हुई हैं ऐसा देखने से लगता है, लोगों का मानना है कि भगवान महावीर मूर्ति के अगल-बगल पत्थर पर
ये कलाकृतियां व मूर्तियां उस समय की है जब बारह-बारह मूर्तियांभी जड़ी हुई है, जो मूर्ति के ऊपर र * शिल्पकला का विकास आरंभ हुआ था, जिसे प्राचीन | से नीचे तक छोटे - छोटे घरों में हैं, प्रत्येक घर में Shak, शिल्पकारों द्वारा काफी आकर्षक ढंग से पत्थरों को | दो-दो मूर्तियों हैं। महावीर मूर्ति के दोनों ओर दो अन्य
उके कर विभिन्न कलाकृतियों बनायी गयी है। मूर्तियां भी है, खुदाई के दौरान नक्काशी तथा छोटी
| इससे प्राचीन भारतीय सभ्यता की एक समृद्ध | - छोटी मूर्तियो के अवशेष भी पाये गये हैं। खुदाई * परम्परा का भी पता चलता है। .
स्थल के २०० मीटर की दूरी पर पूरब की ओर एक | खुदाई के दौरान वहां भगवान महावीर जैन, | टापू हैं, संभावना है कि वहां खुदाई करने पर वु छ पाया नटरज की तथा अन्य मूर्तियां, कलश तथा मंदिर आदि | जा सकता है। खुदाई स्थल से कुछ दूरी पर एक तालाब पाये गये हैं। सभी कलकाकृतियां सफेद रंग के पत्थरों | है, जिसे वहां के ग्रामिण जलो हरि तालाब कहते है। * से बनी है इससे यह प्रतीत होता है कि यहां पूजा-पाठ ग्रामीणों का कहना है कि उक्त तालाब का पानी कभी
कर की परम्परा तथा मूर्ति निर्माण की कला भी उस सूखता नहीं है, जबकि तालाब में पानी की मात्रा कम र सम प्रचलित हो चुकी थी।
ही रहती है। । मूर्तियों को देखकर ऐसा अनुमान लगाया जा । खुदाई स्थल पर पुरुलिया जिला प्रशासन ने लोगों सकता है कि ४६८ ई. पूर्व महावीर के अवसान के | के प्रवेश पर रोक लगा दी है तथा पहरे के लिा पुलिस पशात वहां जैन धर्मावलंबियो की बस्ती रही होगी। | को तैनात कर दिया गया है। जिला प्रशासन के वरिष्ठ पाय गयी मूर्तियां मंदिर के तीन कमरों में विभाजित है, | अधिकारी घटनास्थल का दौरा कर चुके हैं तश जिला जिसकी दीवारों की चौड़ाई ढाई फीट हैं, मंदिर के दो | प्रशासन ने इसे पुरातत्व विभाग के हवाले कर दिया है। **