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________________ ૫૩૮ श्री जैन श्वे. . ७२८३. तेरहपन्थ और बीसपन्थ । जब दिगम्बर सम्प्रदायमें भट्टारकोंके अत्याचार बहुत बढ़ गये, ये लोग जब आपको जैनधर्मका ठेकेदार समझने लगे और श्रावकोंको मनमाने मार्गपर ले जाने लगे, तब इस पंथका प्रादुर्भाव हुआ। इसने भट्टारकोंके ज्रएको अपने कन्धेपरसे उतारकर फेंक दिया और विद्वान् श्रावकोंको उपदेशादिका काम सौंप दिया। कहते हैं विक्रम संवत् १६८३ के लगभग इस पंथका प्रादुर्भाव हुआ था। मालूम नहीं, इसका नाम तेरहपंथ क्यो पड़ा। इसके साथही पुराने खयालोंके लोग जो भट्टारकोंके शिष्य थे-बीसपंथी कहलाने लगे। भट्टारकोंकी सेवाके सिवाय भगवानका पंचामृताभिषेक करना, प्रतिमाके चरणोंमें केशर लगाना. सचित्त फल फूल चढ़ाना, क्षेत्रपाल-पद्मावतीकी पूजा करना, आदि और भी कई बातोंमें तेरहपंथ बीसपंथमें मतभेद है । बीसपंथी इन कार्योंका करना आवश्यक समझते हैं और तेरहपंथी इनका निषेध करते हैं । तेरहपंथने बड़ा कार्य किया है। तेरहपंथी विद्वानोंने सैकड़ों ग्रन्थ संस्कृत प्राकृतसे देशभाषामें अनुवादित कर डाले जिससे श्रावकवर्गमें जैनधर्मके तत्त्वोंकी चर्चा बहुत बढ़ गई और भट्टारकोंकी संस्थामें इसने ऐसा धुन लगा दिया कि कुछ समयमें उनका नामशेष ही हुआ जाता है। कुछ समय पहले इन दोनों पंथोंके लोगों में बहुत ही बड़ी शत्रुता बढ़ गई थी और इसके कारण बड़ी ही हानि होती थी; परन्तु शिक्षाके प्रचारसे अब वह भी प्रायः नामशेष हो रही है। ___ कुछ कट्टर तेरहपंथी और बीसपंथियोंने दश पाँच ग्रन्थ भी ऐसे बना डाले हैं जिनमें परस्पर गाली-गलौज की गई है। परन्तु प्रसन्नताकी बात है कि उन ग्रन्थोंका विशेष आदर नहीं-बहुतही थोड़े लोग उन्हें पढ़कर प्रसन्नता लाभ करते हैं। गुमानपन्थ । सुनते हैं मोक्षमार्गप्रकाशकके की ५० टोडरमलजीके पुत्र पं० गुमानीरामजीने इस पंथकी प्रवृत्ति की थी । इसके अनुयायी जयपुर देहली आदिमें कुछ लोग है इनके मंदिरोंमें रातको चिराग नहीं जलाया जाता और अभिषेकादिकी बिलकुल मनाई है। और सब बातें तेरहपंथियोंके ही समान मानी जाती हैं । पं० टोडर मलजी वि० सं० १८१८ के लगभग हुए हैं।
SR No.536627
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1915 07 08 09 Pustak 11 Ank 07 08 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1915
Total Pages394
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size11 MB
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