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________________ १९०५] मिस्टर गुलाबचंदजी का प्रयास. उस भाईके आमे होकर सवजणे उसके मकानपर इकठे होकर मदद देकर शादी करा , देवेंगे, यह ठहराव हम सबनें एका मोजूदी राजी खुशीसे किया सो हम सबको मंजूर है. इस ठहरावपर सबनें अपने अपने दस्तखत राजीखुशीसे कर दिये हैं उसकी पावंदि रहेगी और यह अस्ल ठहराव दस्तखति जुमले पंचान सिपुर्द नाजिमजी साहब श्री गुलाबचंदजी किया जावे कि यह ठहराव जैन कोनफरन्सके पत्रमें छपवा दिया जावे और इसकी एक नकल सबके दस्तखति कस्वेकी पंचायतिमें रहै:-- द. सुंदरलाल सोनी सरावजीका द. भूरामल कोठियारी औसवालकरका द. चैनसुख पटवारी बकलम गोरीलाल. द. कोठियारी मिसरी मलका द. मन्नालाल अगरवाला बकलम छोगालाल द. कोठियारी धोंगलमलका द. मिसरीलाल अगरवालाका द. हजारीमल चूराका द. छोगालाल अगरवालाका द. वखतावरमल बोराका द. हंसराज सोनीका द. हीरालालका बकलम गणेश द. बछराज जागटाका द. श्रीलाल पटवारीका द. जवाहरचंद बैदका द. शोनाथ जागटीयाका बकलम द. नेमीचंद बैदका बकलम जवाहरके द. श्रीलाल पटवारी द. बीजराज नोलखाका द. शोदासका बकलम श्रीनारायण द. सूरज करणजाजू बकलम बछराज द. रामचंदर जवर बकलम श्रीनारायण द. शंकरलाल सोनी बकलम हंसराज द. गणेश कावलाका द. कल्याण बक्ष सोनी बकलम हंसराज द. बहादरमल बकलम दानमल द. सोदास २. मोजा नीमेडा-तारीख १ अक्टोबर १९०५ सम्वत १९६२ मिति आसोज सुदि ३ इतवार मुताविक तारीख १ अक्टोबर सन १९०५ पंच महाजन सरावगी महेश्वरी सिकने मोजा नीमेडा परगना फाजी राज्य सवाई जयपुर। इकठाहोकर विचार किया तो कन्याका रुपया लेकर परणाना. ( शादी करना ) धर्म शास्त्र और लोकविरुद्ध पाया आजतक तो जो काम किया या नहीं किया वह सबधका परन्तु आजसे आयंदा पंच महाजनोंमें लडकीका पैसा लेकर शादी नहीं की जावेमी बल्कि लडकी को सरधा मुवाफिक सेर घृतहोमकर परणा दी जावेगी अगर किसी भाईकी सरधा लडकीके व्याहमें जिमाणेकी नहो तो उसको ज्योनार करनेकी जुरूरत नहीं हम सब भाई घरकी रोटी खाकर आगे होकर लडकीका बापने मदद देकर शादी करा देवेंगे ज्योनार
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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