________________
१६४ जैन कोनफरन्स हरैल्ड.
[मे करता रह्या छे तेओ बधानो आ कॉन्फरन्स उपकार माने छे अने तेओने तथा बीजा सर्वे मुनीराजोने ए प्रमाणे उपदेश करया नम्रतापुर्वक विनवे छे.
वळी मुनी महाराज श्री सुखसागरजीना शिष्य मुनी श्री बुद्धिसागरजी महाराज जेमना सदुपदेशी आप्रोविन्शियल कॉन्फरन्स अत्रे भेगी थई छे तेमनो आ कॉन्फरन्स अंतःकरणपुर्वक उपकार माने छे तथा आ प्रसंगे मुनी महाराज श्री आनंदसागरजी विगैरे पधारेला छे तेमनो पण आ कॉन्फरन्स उपकार माने छे.
ठराव चोथो-परदेशगमन तथा केळवणीने उत्तेजन आपवानी जरुर.
हानिकारक रिवाजो, अधर्माचरण थवानुं तथा ते जारी रहेवानुं कारण अज्ञान छे ते अज्ञानंधकार ज्ञान रुपी दिवाथी दुर थाय छे माटे ते प्रगटाववा जैन भाईओ तथा बहेनोमां समयोचित धार्मिक तथा व्यवहारिक केळवणीना बहोळा फेलावानी अवश्यकता आ कॉन्फरन्स जुवे छे; अने ते अर्थे निचेनी बाबतोपर जैन बंधुओनुं खास ध्यान खेंचे छे:
१ धार्मिक शिक्षण साथे जमानाने अनुसरती व्यवहारिक केळवणी बाळक तथा बाळकीओने मळे एवी शाळाओ स्थापवी तथा मोटी उमरनी स्त्रीओने माटे पण आवी शाळाओ स्थापवी;
_____२ अमदावाद, मुंबई आदी जेवां स्थळ ज्यां उंची केळवणीनुं साधन होय त्यां जैन बंधुओने - भणवामां सहायरुप थाय तेवी बोडिगो स्थापवी;
३ जैन बंधुओने उंची केळवणी माटे उत्तेजनार्थ स्कॉलरशिपो काढवी;
४ श्री बनारसनी श्रीमद्यशोविजयजी जैन पाठशाळा जे श्रीमन् मुनी महाराज श्री धर्मविजयजी आदीना सतत् प्रयास अने निस्वार्थ लागणीथी जैन शास्त्र शिक्षण माटे उपदेशको तैयार करवा त्रण वरस थयां स्थपाई छे तेने हरेक प्रकारे मदद आपवी अने संस्कृत, प्राकृत भाषा तथा जैन सिद्धांतो शिखी सारो जैन विद्वान वर्ग तेमांथी पेदा थाय एवी एनी मुळ नेम बर आववा दरेक प्रकारे जोइती मदद आपवा तत्पर रहे;
५ उद्योग वेपारार्थे हुन्नरादि शिखवा माटे योग्य जैन भाईओ युरोप, अमेरिका, जापान आदि स्थळे जाय ते अति लाभकारी छे, एम मानी तेम करवा आ कॉन्फरन्स भलामण करे छे.
दरखास्त करनार-मि. घेलाभाई छोटालाल बी. ए. अमदावाद.
टेको आपनार-मि. मणीलाल नथुभाई डोशी बी. ए.
, केशवलाल अमथाशा बी. ए. ,, सांकळचंद मोहोकम बी. ए., अमदावाद.
, नारणजी अमरशी, वढवाण. वकील फतेहचंद रामचंद, सादरा.