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________________ जैन कोनफरन्स हरैल्ड. [ जनवरी जो तीन जलसे इस कोनफरन्सके हुवे हैं उनसें बहुत कुछ सुधार हुवाहै और आयन्दा ज्यादा सुधारे की उम्मेद है... प्रार्थना इतनी ही है के इसकी तरक्की हमेशा चाहते रहै, इस के विघ्नोंकों हटाते रहै और तन मन धनसें इसकी परवरिश करते रहै. कोनफरन्सकी खबरे. तृतीय जैन · कोनफरन्स का जलसा पूर्ण होनेके पश्चात् पहली दिसम्बर सन् १९०४ को तीन बजे के वक्त सूरी श्री कमलबिजयजी महाराज और उपाध्याय श्री बीरबिजयजी महाराजके सन्मुख बडोदाकी रीसैपशन कमीटी के प्रेसीडेन्ट, वाइस प्रेसीडेन्ट, चीफ सेक्रिटेरी वगैरह तथा कोनफरन्स के जनरल सेक्रिटेरी मिस्टर गुलाबचन्दजी ढढ्ढा और भावनगर निवासी सेठ कुंवरजी आनन्दजी, वकील मूलचन्द नथुभाई वगैरह कई सद्गृहस्थों के रुबरू पाटनवाले नगरसेठ और सेठ पूनमचन्दजी कोटावाले वगैरह पाटन के सद्गृहस्थों ने इस कोनफरन्स का चोथा सालना जलसा पाटन में करनेकी दरखास्त करके प्रार्थना किई के आयन्दा साल इस कोनफरन्स का वार्षिकोत्सव पाटन में स्वीकार करके हम को कृतार्थ कीजिये और आयन्दा सालमी नवम्बर के महिने में कार्तिक पूनम के पश्चात् जो तारीख अनुकूल हो उसमें यह जलसा किया. जावै जिसपर सब ने पाटन वालो की प्रार्थना स्विकार करके आयन्दा वार्षिकोत्सव नवम्बर के महिने में करना निश्चित किया. धन्य है पाटनके श्रावक! जिनहोंने अपने तन मन और धन कों श्रुत कार्य में लगाने पर कमर बांधी है. पाटन अपना प्राचीन खेडा है जहां पर सैंकडों बड़े बडे मन्दिर है जहांपर महाराजा कुमारपाल ने जैन धर्म को दिपायाथा जहांपर कलिकाल सर्वज्ञ हेमचंद्राचार्य बिराजते थे और जहांपर अपने धर्म के पुरातन ग्रन्थ ताडके पत्रों पर मोजूद है और जहांपर करीब १५ पुराने पुस्तकालय मोजूद हैं. महसाना स्टेशन सें करीब २० माइल है रेल ठेठ तक जाती है. जब कोनफरन्सके शुरु होने के पहिले गुजरात, काठियावाडमें भ्रमण करके मिस्टर गुलाबचन्द ढढाने हर शहरके समुदाय की राय कोनफरन्स कायम करने के बाबत लिई थी तो मुनि श्री कान्तिबिजयजी के रोबरू इस ही शहर के नगर सेठ और कोटावाले सेठ वगैरेह ने सबसे पहिले अपना इत्तफाक प्रगट करके उक्त महाशय को हिम्मत बन्धाई थी. हम आशा करते हैं के हमारे जैन वर्ग के शुभेच्छक पाटन पधार कर सक वातों का लाभ उठावेंगे, और हमारे पाटन निवासी भाइयों में प्रार्थना है के सेट लालभाई दलपतभाई के मुवाफिक कोनफरन्सके जलसेका बहुत सादगी साथ प्रबन्ध करेंगे. __ सेठ लालभाई दलपतभाई के पुत्र की शादी और सेठ कुंवरजी आनन्दजी के भतीजा भतीजो की शादी जैन बिबाह बिधि के मुबाफिक हुई, आशा किई जाती है के अन्य स्थानो परभी हमारे जैनी भाई इसही तरह करने पर कमर बांधेगे. ___ जैसलमेर भण्डार की टीप जारी है.
SR No.536501
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1905 Book 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1905
Total Pages452
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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