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१२० जैन कोन्फरन्स हरैल्ड.
[एप्रिल जे नियमथी गरीब माणसनुं कार्य कोईy करज काढ्या विना सहेज थाय, लमप्रसंगे सीओ अनुचित गायन गाय छे. लग्न ए मंगलकार्य कहेवाय ने एवां मंगलकार्यमां स्त्रीओ अमंगल गाय ते शुं सारूं छे ? जे वेळाए स्त्रीओना मुखमांथी बीभत्स भाषण नीकळे छे ते वेळाए त्यां सांभळवा आवेला समुदायने घणुंज शरम भरेलु लागे छे पण ते वातनी स्त्रीओने बिलकुल शरम लागती नथी. ते माटे मारी बेहेनो प्रत्ये नम्र विनंति छे के तेओ आवी रीतना अनुचित गायनो गाशे नहीं. कोई कोई ठेकाणे लग्न प्रसंगे तरगाळा जेवा लोकने जमाडी तेमनो नाच करावीने तेमना मोढेथी बीभत्स भाषणो सांभळीने तेमने शीख आपवामां फाजील पैसानो खर्च करे छे ते नहीं करवो एवी मारी नम्र विनंती छे.
बंधुओ, मृत्यु पाछळ मिष्टान्न खवराववानो अने भोजनो उडाववानो निंदा भरेलो रिवाज घणोज खराब छे. मरनारनी पछवाडे दिलगिरी जणावाने बदले आपणे तो मीठा मीठां भोजनो जमीए छीए. आपणुं हृदय केवं निष्ठुर छे ? आपणुं मगज केवं विचारशून्य छ ? बांधवो, विचार करो के आवा रिवाज तमो केवी रीते पसंद करशो ? ए माटेज एवा कढंगा रिवाजो बंध थाय तेवो प्रयत्न करशो.
मरण समये रोवा कुटवानो निषेध.
रोवा कुटवानो चाल केवळ दुर्गध समान छे, पण तेनी गंध आपणने बिलकुल आवती नथी पण आ रीत जोई अन्य लोकोना नाक तो फाटी जाय छे; कारण तेमने तेनो सहवास नथी अने तेनाथी थतुं जे जे महाभारत नुकसान तथा दुःख थाय छे, तेनुं तेओने ज्ञान छे. रोवा कुटवाना दुःखदायक चालथी घणां नुकसानो थाय छे, ए नीति अने धर्म थकी उलटा छे, अने शरीर तथा मनने बगाडनार छे. बांधवो, जे जन्म्युं ते मरवानुं छे, मरण आपणा हाथमा नथी. सर्व कर्माधिन छे. घणा दिवसना स्नेहने लीधे आपणने दुःख तो लागे पण निरुपाय वस्तुनो घेलो शोक करवो ए केवळ फळ विनानु छ एटलुज नहीं, पण एवी रीते शोक कीधाथी तन, मननी खराबी थाय छे. बांधवो, ए नठारी चालना गैरफायदा पोताना मनमा सारीपेठे समजी पोतानी स्त्रीओने रुडी रीते समजावी जेम बने तेम ए चालो कहाडी नांखवा जोइए. बेहेनो, तमारे सारी पेठे समजवू के स्त्रीना धर्म शा छे ? तेओए घरमां अने वहार केवा विवेक बताववा जोइए ? छोकराओगें आचरण तमारा उपर घणो आधार राखे छे. कई कई नीतीओ तमे तमारा बाळकना मनमा ठसावो छे? माटे समजीने शोक करवानी नठारी चाल कहाडी नांखवी जोइए. आपणे आ संसारमा नाना प्रकारना निरपराधी अने निर्विकारी कामो करी सुख भोगबवाने जन्मेल छीए; अने वगर कारणे हाथेथी खराबी करी लई दुःख पामवाने जन्म्या नथी. माटे एवी तरेहनी कुचालो बंध करी बांधवोने तारवा उद्यमवंत थाओ. बांधवो, जेओ सुधाराना सुखथी अने ए सुखना रस्तामां जे जे हरकतो आवी पडे छे तेथी अजाण्या छे, तेओने हुं दोष आपतो नथी पण जेओ समजे छ ने हरकतो दुर करता नथी तेओने माथे कायरपणानो अने देश सुधाराना काममां | आळस राख्यानो मोटो दोष छे. भाईओ, विद्यानी संगतथी घणानामां विवेक आवे छे माटे मारा सुज्ञ बांधवोए अने बेहेनोए उमेद राखी देश सुधाराना काममां आगळ पडवू जोइए. बंधुओ, देश हितने आडे आवनारी जे जे रुढीओ अने जे जे वहेमो छे, तेनुं जडमुळथी ज्यां सुधी तमो निकंदन नहीं करो, त्यांसुधीं तमो कदी पण देशोन्नति करी शकशो नहीं अने बांधवोने पण तारी शकशो नहीं. ए अवश्यमेव समजी राखजो.