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________________ ता. १-६-३४. -नयुस ૧૯૪ श्री जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स. २०, पायधुनी, मुंबई नं. ३. चौदमां अधिवेशनमा पसार थयेलु बंधारण. १. उद्देशः-आ कॉन्फरन्स के जेनु नाम श्री जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स राखबामां आव्यु छ तेनो उद्देश जनने लगता कळवणीना प्रश्नो संबधमा तेमज धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, राजकीय अने बीजा जैन कोम अन धर्म संबंधी सवालो उपर विचार चलावी योग्य ठरावो करवानो अने ते ठरावोने अमलमां मुकवा माटे उपायो ये.जवानो छ. २. कार्य विस्तारः-समस्त जैन कोमने (संघ) लागु पडता सवालोज कॉन्फरन्स हाथ धरशे. न्यातना, स्थानिक संघना, महाजनना अने पंचना तकरारी विवादग्रस्त विषयो सीधी के आडतरी रीते कॉन्फरन्स हाथ धरी शकशे नहि. ३. अधिवेशन:-कॉन्फरन्सनी आगली बेठक वेळाए ठराववामां आवेल वखते अन स्थळे आ कॉन्फरन्स साधारण रीते दर वर्ष एक वखत भेगी मळशे. (अ) जो एवो कोई पण ठगव आगली बेठक वेळाए करवामां आवेलो नहि हशे तो कार्यवाही समितिए कोन्फरन्सनी बेठक मुंबईमां अगर बीजे स्थळे भरवा गोठवण करवी. (ब) कॉन्फरन्सनी बेठक अनुकुळ तीर्थ स्थळोमां अगर तो मुंबईमां भरवानु संयोगवशात् बनी नहीं शके तो महामंत्रीओ (जनरल सेक्रेटरीओ) अने कार्यवाही • मिति स्थायी (स्टेन्डींग कमीटी) नी तथा समाजना अन्य संभावित प्रांतिक आगेवानोनी सभा अनुकुळ स्थळे कोमना अगत्यना प्रश्नोनी विचारणा माटे साधारण रीते दर वर्षे बोलावशे. ४. प्रतिनीधी:-आ कॉन्फरन्स प्रतिनिधिओथी बनशे. जेओ श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैनो हशे अने जेओ सुकृत भंडार फंडमां पोतानो फाळो जे वर्षमा अधिवेशन भराय ते वर्ष माटे आपे तेओज नीचेना नियमोने अनुसरी प्रतिनिधि थई शकशे. (१) कोई पण शहर के गामनो संघ या सभा के मंडळ या संस्था जे योग्य गृहस्थने के सन्नारीने प्रतिनिधि तरीके नीमी मोकले ते, तथा जे स्थळे सघ प्रतिनिधिनी चुंटणी माटे न मळ्यो होय त्या धोरणसर बोलावेली जाहेर सभा जेने प्रतिनिधि तरीके निमी मोकल ते. (२) प्रज्युएटा जेनी अंदर कोई पण युनिवर्सिटी तेमज विद्यापीठना ग्रेज्युएटो तेमज बेरीस्टर, हाईकोर्ट प्लीडर, एन्जीनीयर अने सब - एसीस्टन्ट सर्जननो समावेश थाय छे जमनो नोंध (रजीस्टर) कॉन्फरन्स कार्यालयमां (ऑफीस ) राखवामां आवशे तेमां जे नामो नोंधाव्या (रजीस्टर कराव्या ) हशे तेओ, (३) जैन वर्तमानपत्रो अने मासिकोना अधिपतिओ... (४) स्वागत समितिना (रीसेप्शन कमिटि ) सभ्यो ( मेम्बरो). नोध-(नोट):-प्रतिनिधिनी उम्मर १८ वर्षथी ओछी होवी न जोईए तथा सभा मंडळ के संस्था ओछामा ओर्छ एक वर्ष जुनु होवु जोईए अन ते स्थायी समितिए (स्टेन्डींग कमीटी) स्वीकारेलु होवू जोईए, तेमज तेवां सभा मंडळ या संस्थाओए पोतानां नाम कॉन्फरन्स कार्यालयमां (ओफीसमां) रुपीओ एक वार्षिक लवाजम जे वर्षमा अधिवेशन भराय ते वर्ष माटे आपो नोंध ( रजीष्ट ) करावेल होवो जोईए.. ५. प्रतिनिधि प्रमाणः-दरेक शहर के गामना संधे या म्भा, संस्था के मंडळे प्रतिनिधिओनी नीमणु करती वखते नीचेर्नु प्रमाण ध्यानमा राखवु. (१) जे नहेर के गामनी अंदर जैन घरनी संख्या सोथी वधारे न होय त्यांना संघ पांच प्रतिनिधिथी वधारे न चुटवा. (२) जे शहर के गामनी अंदर जनोना सोथी वधारे घर होय त्याना संघे दर सो घर दीठ पांचना प्रमाणमां प्रतिनिधि चुंटी शकशे. (३) दरेक स्थळनी सभा, संस्था के मंडळ वधारेमा वधारे पांच प्रतिनिधिओ पोताना सभ्योमांथीज चुटी शकशे. ६. प्रतिनिधि लवाजम (फी):-प्रतिनिधिनी लवाजम (फी) रु. ३) अने भोजन सहित रु. ५) राखq. स्वागत समिति (रीसेप्शन कमीटी) ना सभ्य (मेम्बर) नुं रवाजम ओछामा ओछु रु. १०) राखq. जे स्थळे कोन्फरन्सचें अधिवेशन भराय तेमा जे प्रतिनिधिओनी की आव तेमांथी दर प्रतिनिधिए एक रुपीयो कोन्फरन्सनी हेड ओफिसने तेना सुकृत भंडार फंडमां आपवो.
SR No.536274
Book TitleJain Yug 1934
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1934
Total Pages178
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Yug, & India
File Size20 MB
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