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Regd. No. B 1996.
॥२४ ५२नाम :-सिव 'HINDSANGHA'
- ॥ नमो तित्थस्स ॥ Recentered
प्रशासन
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છે (શ્રી જૈન શ્વેતાંબર કોન્ફરન્સનું મુખપત્ર.
વર્ષિક લવાજમ રૂપીઆ બે.
नत्री:- [भनी मत्री,
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छुटन हद मानो.
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ता. १५भी से२ १८३२.
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जैन तीर्थ केसरियाजी को वैष्णव तीर्थ करार देनेका
पेन्होंने कोर्टमें दावा कर दिया ?
-मुध्यप - श्री भानसा.शा म. म. मेरा भी.
मेवार , भातीय 9. अ५041 ।.. भी.मे.ena.cी.
સોલીસીટર. હીરાલાલ હાલચંદ દલાલ
गार-52-डा. ,,मेहहही.डीमा
मी.मे. જમનાદાસ અમરચંદ ગાંધી | , મેહનલાલદીપચંદ ચોકસી
-सुचनामाઆ પત્રમાં પ્રકટ થના લેખે માટે જે તે લેખના લેખકાજ|
સર્વ રીતે જોખમદાર છે. ૨ અભ્યાએ મન અને ધ
બાળના પરિણામે લખાયેલા देगा पानांग। भने
ને સ્થાન મળશે. લેખા કાગળ( ક બાજુ शहाया
उदयपुर मेवाड़में आये हुवे जैन तीर्थ श्री केसरिया नाथजी (रिषभ देवजीके पन्डोंने गत महिनोंमें एक दरखास्त द्वारा महाराणा उदयपुरका ध्यान खींचा था कि केसरियाजीकी तीर्थ वैष्णवोंका है श्री रिषभदेवजी, श्रीमद् भागवतमें आठ वें अवतार लिखे हैं। पहले इस तीर्थपर भोग भी लगता था इस वास्ते पहला हक वैष्णव सम्पदायका होना चाहिए. अब पन्डोंने उदयपुरकी कोर्ट में तोर्थ वैष्णव होनेका दावा भी कर दीया है। तहकीकात वास्ते खेरवाडा ग्राम जो केसरियानाथजीसे १० मील है मिसिल (कागजात) भेजे गये हैं. जहां पर कोइ जैन पैरवी करने वाला नहीं है, एक तरफा पन्डों को फेसला देनेकी तैयारी मालम देती है। हम भारत वर्षके समस्त जैन चतुर्विध श्री संघको भूचित करते है कि वो उदयपुर संघके भरोसे चुपके न बैठे हैं । तीर्थकी रक्षा वास्ते अपना कर्तव्य पालन करें और महाराणा साहिब उदयपुर और अधिकारी वर्ग मेवाड़ को भो मूचना करते हैं कि वो इस प्रकारके सर्बजनिक मामले जिसमें भी रियासत के बहारवाले समस्त जैनीयों का सम्बन्ध हो बगेर जैनीयोको फरीक बनाए कोई गुप्त कारवाई न करें वरना रियासतकी वो शान जो धर्म की रक्षा के नाम पर उसने चांध रखी काकालमा पुत जावेगी और वो बुरे परिणाम निलंगे जिसके लिये आजके दिनको उस दिन पछताना पडेगा.
(At-:
तीन यु. 3. नेतinा. यास २०. पारधु-।-भुग.
भवदीय,
अभयकुमार यात्री.