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= श्री जिनदर्शन महिमा ==
आज जन्म मम सफल हुबा प्रभु, अक्षय अतुलित निधिदातार । नेत्र सफल हो गये दर्शनसे, पाया है आनंद अपार ॥ १ ॥
आज पंचपरिवर्तनमय यह, अति दुस्तर भवपारावार । सफल हुया दर्शनसे तेरे, भटका हूं जीसमें बहु बार ॥२॥ आज नहाया धर्मतीर्थ में, तेरा दर्शन पा साकार । गात्र पवित्र हुवा नयनोंसे, छाया निर्मल तेज अपार ॥३॥
आज हुवा यह जन्म सार्थक, सकल मंगलोंका आधार। . तेरे दर्शनके प्रभावसे, पहूंचा मैं जगके उस पार ॥४॥ आज कषाय सहित कर्माष्टक, ज्वालाऐं विघटी दुःखकार । दुर्गतिसे निवृत्त हुवा में, तेरे दर्शनके आधार
आज हुवे हैं सौम्य सभी गृट, शान्त हुवे मनके संताप । विष्नजालनश गये अचानक, तेरे दर्शनके सुप्रताप ॥६॥ आज महाबन्धन कमांका, बन्द हुया दुःखका दातार । सौख्य समागम मीला जिनेश्वर. तुम दर्शनसे अपरम्पार ॥ ७ ॥
आज हुवा है ज्ञान-भानुका, उदय देह मन्दिर, सार । तुम दर्शनसे है जिनेंद्रवर, सिवातमका नाशनद्वार आज हुवा हूं, पुन्यबान मैं, दूर हुये सब पागचार । मान्य बना हूं दिल में स्वामी, तेरा दर्शन पा अविकार ॥५॥ आज हुई जिनदर्शन महिना, अनगत सुझको है भगवान । सत्पथ साफ दिखाई पड़ना, खड़ा सामने है कल्याण ॥१०॥
राजमल अण्डारी-आगर ( मालवा)
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