________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
3AKLIAN
CERIENCHEME विहानकानचारिमणि
स्त्रिाणिमोक्षमार्ग
सम्यगदर्शना
H
१० भु
वार स. २४७० અંક છ મા मोक्षार्थिना प्रत्यहं शानवृद्धिः कार्या । ( मुद्रा )
॥श्री मुनिसुव्रत जिन स्तवन ।।
( तर्ज-आनंद का डंका बजवा दिया शिवपुरबालोने ) Can मुनिसुव्रतनाथ वसे मन में, नहि अन्य देव मुझ को भावे ।। Om दिन गत सदा तब ध्यान रहे, प्रभु ऐसी मम मति हो जावे ।।टेस! 40D UP जिम नृत्य में ध्यान रहे नर का, पनिहारी का ज्यों हो घट में। am gh त्यों ध्यान रहे मम तव पद में, जिससे न कभी गोते खाये ।मु०॥१॥
सब देव राग के धारी है, अरु संग में उनके नारी है ।
वे काम क्रोध अवतारी है, जिस से नहिं हम उनको ध्याये ।।मुनि०२।। CD तुम राग द्वेप संहारी हो, औ गुणगण में भी भारी हो । 4m तुम ब्रह्मरूप अविकारी हो, जिससे ही हम तव गुण गावे ।।मुनि०३।। AD जब ध्येय ध्यान औ ध्याताका, तल्लीनपना हो जाता है। LD तब निश्चय भद्रानंद मिले, अरु उत्तम शिवसुख को पावे ॥मुनि०४||
मुनि मदानंद > (143)
For Private And Personal Use Only