________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
પુસ્તક ૫૩ સુ वि. स. १८८३
(6
a सम्यग्दर्शनज्ञान चारित्राणि मोक्षमार्गः बैन धर्म प्रडाशश..
{ याश्चिन }
આશ્વિન
श्री महावीरजिन स्तवन ।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जय जय प्यारा ! वीर जिनेश, जय जय प्यारा वीर जिनेश ॥ टेक ॥ जय जय प्यारा सतत सहारा, दुःखियाओं का दुःख निवारा | सकल जगत निज धर्म प्रसारा, हरदम हरत क्लेश ॥ जय० ॥ वीर जिनेश है जगतेश, दे उपदेश दया विशेष |
मेटा अधरम रहा न लेश, अब तक गुण गावत सब देश || जय० ॥ जो प्रभु तुं नहीं जग में आता, सच्चा मारग कौन बताता ? मोह निंद से कौन जगाता ? ब्रह्मा विष्णु महेश ॥ जय० ॥ तुंही है सब का हितकारी, नाम लेत मिटता दुःख भारी । मीलती है सुखसम्पति सारी, अध की चले ना पैश ॥ जय० ॥ परहित में नित ये मन लागे, इर्षा द्वेष सभी अव भागे । प्रेम निरन्तर घट में जागे, वर दो यही हंमेश
અંક છ મા વીર સ ૨૪૬૩
For Private And Personal Use Only
बुद्धि हमारी निर्मल कीजे, हमे चरण की सेवा दीजे ।
99
वीरभक्त की भी सुध लीजे, कृपा करो करुणेश ॥ जय० ॥
सं. राजमल भंडारी - आगर - (मालबा )
॥ जय० ॥
444444688