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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org [ आत्मानंद प्रकाश गुरु आतम की स्मृति में स्थापित श्री जैन आत्मानंद सभा' सौ वर्षों से जैन धर्म, समाज और साहित्य का कार्य कर रही हैं । गुरु आतम के नाम से जितनी भी संस्थाएं भारत में चल रही है उय में यह संस्था सबसे पुरानी हैं । सभाने जैन धर्म के साहित्य की महान सेवा की है । ज्ञान का प्रचार और प्रसार ही इस सभा का प्रमुख उद्देश रहा है और अपने इस उद्देश्य की पूर्ति में सभा को बहुत बडी और आश्चर्य जनक सफलता मिली हैं | इसका सम्पूर्ण श्रेय सभा के कर्मठ, समर्पित और निस्वार्थ कार्यककाओं को जाता है। हिन्दी विभाग के प्रकाशन साथ ही सभा अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार कर रही है । सभा को अपने उद्देश्यों की पूर्ति में सफलता प्राप्त हो । वह अधिक से अधिक उन्नति और प्रगति करती रहें । यही मेरा आशीर्वाद और मंगल कामना है । श्री जैन आत्मानंद सभा, भावनगर का इतिहास यावच्चंद्र दिवाकरौ हि गगने स्वीयप्रभारौ । यावद्भूः शुभतीर्थ चैत्य सहिता प्रोभासते धर्मतः || Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यावद् वीर जिनस्य वग् विलसति श्री धर्मतत्वान्विता । आत्मानंद सभा स्वसम् सहिता तावच्चिरं जीयताम् ॥ जब तक आकश में सूर्य और चंद्र प्रकावित होते रहेगे । जब तक यह भूमि जैन तीर्थो और चैत्य सहित धर्म से उज्ज्वल होती रहेगी । और जब तक धर्मतत्व से युक्त हिमताल अनोपचंद मोतिलाल मंत्री, जैन आत्मानंद सभा भगवान महावीर की वाणी विलसित होती रहेगी तब तक यह आत्मानंद सभा अपने पदाधिकारियों के साथ चिरकाल पर्यन्त जयवन्त होती रहें । वि. सं. १९३३ में विश्ववं विभूति, न्यायाम्मोनिधि आचार्य श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वरजी म. ने मावनगर में चातुर्मास किया था । चातुर्मास में उनके असीम ज्ञान एवं प्रकांड पांडित्य का लाभ भावनगर को मिला था । उस समय भावनगर के प्रबुद्ध श्रावकों में जैन धर्म, दर्शन, इतिहास, साहित्य और संस्कृति के प्रति अद्भुत आकसँग जागृत हुआ For Private And Personal Use Only
SR No.532016
Book TitleAtmanand Prakash Pustak 091 Ank 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramodkant K Shah
PublisherJain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publication Year1993
Total Pages21
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Atmanand Prakash, & India
File Size3 MB
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