________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१२
શ્રી આત્માનંદ પ્રકાશ कामरु कुंदण दमण देशे जपें तोरो जापए, इण देश अविचल प्रबल प्रत पास प्रगट प्रतापए ॥२५ ॥ लाटने कर्णाट कन्नड मेदपाट मेवातए, वलि नाट धाट वैराट वागड वछ कछ कुसातए। स तिलंग गंग फिरंग देशे जपें तोरो जापए, इण देश० ॥ २६ ॥ वलि उड तोड सुगोड द्राविड चोट नट महाभोटए, पंचाल ने बंगाल बंग ससवर बब्बर कोटए । मुलतान मागध मगधदेशे जपें तोरो जापए, इण देश० ॥ २७ ॥ नमिआड लाड कुणाल कोसल बहुल जंगल जाणियें, खुरसाण रोम अइराक आरव तुरक बात बखाणियें । कुरु अच्छ मच्छ विदेह देशे जपें तोरो जापए, इण देश० ॥ २८ ॥ कासीय केरल अनें केकइ सूरसेन संडिलझए, गंधार गुजर गाडणे वडीयार गुंड विदर्भए । कणवीर ने सोविर देशे जपें तोरो जापउ, इण देश० ॥ २९ ॥ नेपाल नाहल अमल कुंतल अजल कजल देशए, प्रतकाल चिल्लल मलय सिंहजी सिंधू देश विशेसए । खस खान चीन सिलाण देशे जपें तोरो जापए, इण देश० ॥ ३० ॥ प्रत प्रबल प्रताप तात संताप निवारण, दश दिस देश विदेश भ्रमति भविक जण सुख कारण, रोग सोग सवि टलें मिलें मनवंछित भोगह । दोहग दु(:)ख दरिद दूर सवि टले विजोगह, स्वर्ग मृत्यु पातालमें त्रिहुं भवन प्रगटों सदा; पार्श्वनाथ प्रताप तुझ आफै अविचल संपदा ॥ ३१ ॥
छंद जाति-मरहटा चालि अविचल पद आपें थिरकरि थापे जगव्यापक जिनराज, उपद्रव सवि जाई सुरगुंण गाई वसि थाई जिनराज । दीपें परं दीपें रिपुनें जीपं दीपें जिम दिनराज, पदपंकज पूजें प्रभुना रिजें सीझें वंछित काज ॥३२ ॥
For Private And Personal Use Only