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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्र.४ी . ૧૨૯ जिनबिंब हैं। उसी समय आपने भावनगरमें चातुर्मासमें विराजमान वयोवृद्ध, पर्यायवृद्ध, ज्ञानवृद्ध मुनिमहाराज श्री १०८ प्रवर्तक श्री कांतिविजयजी महाराजकी मारफत भावनगरके श्री जैन संघसे लिखा पढी शुरु की । सहर्ष निवेदन किया जाता है कि भावनगरके श्री जैन संघने संघकी सम्मतिसे और श्री प्रवर्तकजी महाराजके सदुपदेशसे नौ (९) जिनबिंब देना स्वीकार किया और हमें सूचना दी कि अपना आदमी भेज कर मंगा लेवें । उसमें एक बिंब शाह प्रेमजी ओधवजीका पण था । यात्राका समय होनेसे ला नत्थूरामजी जीरा निवासी श्रीसिद्धाचल जानेवाले थे । उनको बुलाकर उनके साथ रोपड निवासी लाला वैशोदासको तैयार कर श्री संघ अंबालाने एक पत्र १०८ श्री प्रवर्तकजी महाराजके नाम और एक श्री संघ भावनगरके नामका देकर उनको विदित कर दिया कि अमुक दो भाइयोंके साथ आप श्री जिनबिंब भेज देवें । दोनों भाई श्री सिद्धाचलजीकी कार्तिकी पूर्णिमाकी यात्रा करके भावनगर गये । श्री संघ भावनगरने उसी समय बंदोबस्त करके नौ बिंब, नौ श्री सिद्धचक्र और एक अष्टमंगल देकर विदा कर दिया। यात्रार्थे गया हुवा एक भाई और जीरा निवासी ला० अमरनाथ मिल गये । तीनों ही हुशियार होनेसे विना किसी हरकत के आनंदके साथ यहां आ पहुंचे। श्री संघ पंजाबकी श्री आत्मानंद जैन महासभाके अधिवेशन होनेसे इन्हीं दिनोमें लुध्याना, मालेरकोटला, जालंधर, होशियारपुर, नकोदर, अमृतसर, पट्टी, लाहौर, गुजरानवाला, सनखतरा, नारोवाल आदि शहरोंका श्री संघ इकठ्ठा हुवा था। आते ही उन सबको अपूर्व दर्शनानंदका लाभ प्राप्त हुवा। श्री संघ भावनगरने श्री जिनबिंब देनेके बदलेमें नकरा आदि कोई भी रकम नहीं ली। इतना ही नहीं बल्कि जिससे बिंबके मुकुट कुण्डलादि जेवर बने हुवे थे वे भी साथमें ही दे दीये। दो बिंबोंकी तो अंगियां भी दे दी हैं । भावनगर श्री संघ और मगनलाल ओधवजी , शाहकी इस उदारताको देख दूसरे स्थानोंके श्री संघको भी चाहिये कि वह भी इनका अनुकरण कर उचित स्थानमें आवश्यक्तानुसार श्री जिनबिंबादि प्रदान करके शुभ फलके भागी बनें । श्री संघ पंजाब सच्चे दिलसे श्री संघ भावनगरको श्री १०८ प्रवर्तकजी महाराज श्री कांतिविजयजीको और इतर मगनलाल ओधवजी और मुनि श्री वल्लभविजयजीको धन्यवाद देता हुवा अजीमगंजके श्री संघको और मुनिमहाराज For Private And Personal Use Only
SR No.531230
Book TitleAtmanand Prakash Pustak 020 Ank 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Atmanand Sabha Bhavnagar
PublisherJain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publication Year1922
Total Pages30
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Atmanand Prakash, & India
File Size4 MB
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