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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org શ આત્માનઢ પ્રકાશ समवसरणनी हायत जमदा तोरपर बना हुवाथा रतलामनीवासीयो के लीये यह प्रथम हि प्रसंग हाथ प्रायाथा अतः खुशीका पारावार नही रहा था. माघ शुदी ५ के दीन बने समारोह के साथ वरघोमा नीकला. इसके बाद माघ शुदी (ए) पञ्चमीका दिन आया यह दीन मालारोपण पंन्यास पद प्रदान मी दीक्षा तथा मी दीक्षामें प्रवेश इनचार अत्यंत शुभ कार्योंका (कालस मायके ही सावलें ) उत्पादक था. प्रातकाल से हि उगाही श्रावकोने समवसरणको एक तरफ मुनि मादाराजोके बैठने के लीये पाट बगेरे लगादी येथे कुछ काल के बाद माहाराज साहेब पधारे और मुनी श्री सोहन वीजयजी माहाराजको न्याल पदवी को क्रीया कराइगइ साथ में ही मुनो गंजीरवोजयजी तथा अग्रविजयजी का वमी दाक्षाको क्रीया कराते है और बोचमें माला Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काका जो पन्यासजी माहाराज मधुरस्वर ते कराते रहे बम धामधुम से न्याय दीगर उसके बाद सुनी गंजोर विजयजी तथा लग्नव । जयजी को बम) दीक्का देकर नृपधान वालो को माला पहनाई गई उत्सवपर बाहीर के जीजा ये हुवे महोत्सवकी खुशी यहांतक जरगइके ' हांके दोती न श्रावको माहाराज साहेबके उपदेशसे चांद का समवसरण बनाना स्वीकार की है इस जलने की खुशीमें श्री आत्मानंद जैन पाठशाला के बालको को इनमें पीले साफेाटे गये और कन्याशालाकी लकीयोंको देनी गेंदी asaree ऐसा महोत्सव उपर बरसें नह । देवागया इस समयपर ज्ञान खातेमें जो रुपइये. इखडे हुवे हे उस्के पुस्तक उपाके सुफ्त जंगारो व लायब्रेरीयो में जेजी जाने गोहरएक मुनि महाराजोसे प्रार्थना हेकी ऐसे देशोंमें फिरकर के धर्मोद्यत करे. इतीशुनम् - Go શ્રીજૈન શ્વેતામ્બર કોનફરન્સનું નવમું આવેશન ( નવમી જૈન શ્વેતામ્બર કોન્ફરન્સ, ) સર્વને વિદિત છે કે જનસમાજના કવ્યનુ' મહા તેજ ઉત્સાહથી એકત્ર થયેલા સમાજમાંજ થાય છે. વ્યકિત કરતાં સમષ્ટિ પ્રજાનુ મળ અલૈકિક છે. જેન સમુદાયની ધમ લક્ષ્મી અને કર્તવ્ય લક્ષ્મીના પ્રત્યક્ષ અનુમવ કરવા હોય તે સે ત્સાહ હૃદયવાળા અનેક મનુષ્યના સમુદાયથી તે સારો રીતે થઇ શકે છે એ અનુભવ પૃથક જનના દર્શનથી નથી થતે પણ સાધી બંધુત્વની ભાવના ધારણુ કરનારા સમસ્ત જનના પ્રતિનિધઓના સમવાયના દર્શનથી થાય છે. For Private And Personal Use Only
SR No.531139
Book TitleAtmanand Prakash Pustak 012 Ank 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Atmanand Sabha Bhavnagar
PublisherJain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publication Year1914
Total Pages38
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Atmanand Prakash, & India
File Size3 MB
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