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JAINA CONVENTION 2017
सन्देश
यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई है कि जैना कन्वेंशन 2017, 30 जून से 4 जुलाई 2017 को न्यूजर्सी, यू.एस.ए. में आयोजित होने जा रहा है। 1981 से स्थापित जैना 70 सेंटरों के माध्यम से जैना एकता को मजबूत करने में सफल हुआ है तथा उसके मानवतावादी कार्यों के कारण अमेरिका में जैन समाज की आवाज यूनाईटीड नेशन्स एवं व्हाइट हाउस तक सुनाई देती है।
जैना कन्वेंशन बोर्ड को साधुवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने इस बार 'Jainism and Science' एक बहुत ही सार्थक विषय को केंद्र में रखा है। वस्तुत: भगवान महावीर जितने बड़े आध्यात्मिक महापुरुष थे उससे भी बड़े वे वैज्ञानिक व मनोवैज्ञानिक महापुरुष थे। वैज्ञानिक लोग प्रयोगशाला में उपकरणों के माध्यम से सत्य की खोज करते है। भगवान महावीर ने अपने शरीर को ही प्रयोगशाला बना डाला था। उन्होंने प्रलम्ब ध्यान, तपस्या व साधना के पश्चात् जिस सत्य का साक्षात्कार किया उसे हमारे सामने प्रस्तुत किया जो कि जैना आगमों के रूप में विद्यमान है।
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भगवान महावीर की वैज्ञानिक खोज का ही प्रतिफल है कि उन्होंने 2600 वर्ष पूर्व यह उद्घोषणा की कि वनस्पति में भी हमारी तरह चेतना प्रवाहित है, यह सजीव है। तथा हम जो शब्द बोलते है वह पूरे ब्रह्माण्ड में फैलते है। इस तरह की अनेक घोषनाएं आज विज्ञान की कसौटी पर सच साबित हो चुकी है।
अपेक्षा है इस जैना कन्वेंशन 2017 में ऐसी योजना मूर्तरूप ले कि एक वैज्ञानिकों की टीम जैन आगमों पर अनुसन्धान करें। मेरा मानना है कि जैन आगमों में प्राकृत भाषा में ऐसा महान ज्ञान विज्ञान गुम्फित हैं जिसे जनता के सामने लाने की आवश्यकता है। जिससे कि प्राकृत भाषा में गुम्फित महान ज्ञान विज्ञान मानवता के हित व कल्याण में योग भूत बन सके। वास्तव में जैन दर्शन एक वैज्ञानिक दर्शन है। यह एक ऐसी जीवन शैली है जिससे व्यक्ति स्वस्थ, सुखी व आनंदमय जीवन जी सकता है।
यह बहुत ही उल्लेखनीय है कि पश्चिमी देशों में चरम भौतिक विकास तथा उसकी चकाचौंध के माहौल में रहने तथा अत्यंत व्यस्त जीवन शैली के बावजूद भी आप सभी धार्मिक, सामाजिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण के लिए एकजुट होकर कार्य कर रहें है यह भारत सहित अन्य देशों के लिए प्रेरक है।
शुभकामनाओं सहित
आचार्य लोकेश मुनि संस्थापक अध्यक्ष अहिंसा विश्व भारती वेबसाईट: www.acharyalokesh.org, www.ahimsavishwabharti.org
2009