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पुष्प और चाह
डॉ सरोज अग्रवाल Saroj_a@yahoo.com
पुष्प
चाह
पुष्प अरे हो कहूँ तुझे क्या तेरी अजब कहानी है.दे जीवन निज सदा अन्य को त कितना बलिदानी है, खिलता है तू डालडाल पर सीरभ अनयत्र लटाता है, मीरव हम करते तुझ पर, पर त स्वयं निरभिमानी है।
साधना के सधन पथ का एक जलता दीप है मै. जल रहा निष्कम्प अविरल चाह की उस राह में, भाव केवल एक आस भी तो है वही, . पा सकूगा क्या कभी उस परम पावन को मैं।
देख तुझे सब खिल जाते देता है औरों को सुख, तेरे मुरझा जाने पर क्या माना कभी किसी ने दुख, पल भर खिलना फिर मुरखाना तेरी यही कहानी है, शीश चढ़े या मसला जाये रहता सदा अमानी है।
सना है फूलों में बसते लहर में लहराते सतत, पर्वतों के शिखर पर सागर की गहरी धार में, प्राण तन हर श्वास मन में वास तेरा है निरत. दूदता ही रह गया मन के निज उध्यान में।
काँटे तेरा दामन थामें पीड़ा रह-रह है सहता, हैस-हैस शीश झुका कर त अभिनन्दन करता, नहीं फिक है धूप-छोह की वर्षा रहता सहता, औधी हो चाहें तूफान नहीं कभी भी है डरता।
कहाँ हो तुम स्वामी मेरे खोजता मैं फिर रहा, अजान के घनघोर पथ पर राह पाने जल रहा, टिमटिमाता डगमगाता किन्तु फिर भी जल रहा, शक्ति पाऊँ तिमिर हर ल एक तेरा आसरा।
है जीवन तेरा छोटा सा फिर भी त्याग से भरा हुआ, रंग-सुगंध अरु कोमलता से लबालब भरा हुआ, कभी ईश तो कही किसी नृप के मस्तक का मुकुट, कभी हार बन प्रेमी-युगल के वक्षस्थल पर जड़ा रहा।
मिटाकर निज को जो प्रियतम प्रेम पथ मै पा सके, ऐसी शक्ति ऐसा बल एसा ही सम्बल दो प्रभो, भीण शक्ति रिक्त स्नेह ना प्रकम्पित बाति हो, नाथ मेरे अब शरण दो अजान की न रात्रि हो।
कभी पग तल में कृचला जाता आह न कभी भरता, भोरे चाहे रक्त चूसलें खेद त न कभी होता, जीवन के स्वर्णिम क्षण हों या पतचड़ के सूखे पल, शहंशाह सा चदा डाल पर तु मुसकाता है प्रतिपल।
देखता अपलक तुमको दूर से तुमको जभी, पा सगा कृपा दृष्टि सोचता हूँ मैं यही, पकड लो अब बौह प्रियवर मार्ग निष्कंटक करो, अनन्त में विचरण करा दो अपर-पर को हरो।
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खुशी-खुशी न्योछावर होता तेरी अकथ कहानी है, खुद को खोकर हर्ष लुटाकर त अनुपम दानी है, पल को खिलता फिर मुश्ता तेरी गति पुरानी है, त्याग और पर सेवा ही तेरी अमर कहानी है।
कोई रेखा क्षीण सी जो तुम जौ- मै के मध्य है, तोड़ दो बंधन क्षितिज के देख ले उस ओर जो है, तव प्रकाश में लीन हो निःसीम बन जाऊँ प्रभो, कर प्रकाशित जगत को आलोक बन जाऊँ विभो।
उ सरोज अग्रवाल सेवा निवत अध्यक्ष, हिन्दी एवम भाषा विज्ञान, पोस्ट मेजएट कालिज, दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा मनास। लेखन कार्य पुस्तक, लेख कविताए, कहानिया, इत्यादि।
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