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________________ मारबाबास Jain Vishwa Bharati U.S.A. Inspired by Gurudev Tulsi & Acharya Mahapragya अर्हम् भगवान महावीर ने जैसा तप तपा वैसा तप तपना साधारण आदमी के लिए संभव नहीं है। उनके तप का प्राण तत्त्व है ध्यान उसके द्वारा अतीन्दिय चेतना जागृत हुई और उन्होंने सत्य का साक्षात्कार किया । भगवान ने अतीन्दिय चेतना के आधार पर जिन सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया, उनका मूल्य शाश्वत है। वर्तमान के लिए वे अधिक प्रासंगिक हैं। Jain Education International 2010_03 Jain Vishwa Bharati U.S.A. 7819 Lillwill Ave. Orlando, Florida 32809 407-852-8694 EIN#: 59-3563048 बढती हुई हिंसा को शस्त्र बल से नहीं रोका सकता । उसका समाधान है अहिंसा की चेतना का जागरण । बढ़ते हुए एकांगी आग्रह की समस्या को खींचातान तथा आरोप प्रत्यारोप से नहीं सुलझाया जा सकता। इसका समाधान अनेकांत दृष्टि से ही किया जा सकता है । जैना ने धार्मिक संस्कारो को पल्लवित तथा पुष्पित करने का जो अथक प्रयास किया है वह स्तुत्य है । मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि जैना कन्वेन्शन सिनसिनाटी में आयोजित होने जा रहा है। सामाजिक दृष्टि से ऐसे भव्य आयोजन पारस्परिक सौहार्द तथा प्रेम भाव को बढाते है तथा आध्यात्मिक दृष्टि से जैनत्व के संस्कार को परिपुष्ट करते है। अध्यात्म की प्यास गहरी जगे तथा भावी पीढी को संस्कारित करे । कन्वेंशन के दौरान हमें चिंतन करना है कि भगवान महावीर के सिद्धांतो को हम कैसे जन जन तक पहुंचाये और वैश्विक समस्या को सुलझाने में अपना योग दे सकें। मंगल कामना । 9 For Private & Personal Use Only आचार्य महाप्रज्ञ www.jainelibrary.org
SR No.527526
Book TitleJAINA Convention 2003 07 Cincinnati OH
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFederation of JAINA
PublisherUSA Federation of JAINA
Publication Year2003
Total Pages156
LanguageEnglish
ClassificationMagazine, USA_Convention JAINA, & USA
File Size7 MB
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