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________________ Page 50 विभिन्न विद्वानों की दृष्टि में मुझे प्रसन्नता है कि भगवान महावीर का एक पुत्र ऐसा निकला जिसने साह एवं उत्साह के साथ विदेश में जाकर भगवान के सिद्धान्तों का प्रचार और प्रसार किया। मेरे परम मिन्न श्री सुशील मुनि जी ने विदेश में जो महान कार्य किया है और कर रहे हैं समाज में उसका विरोध एवं समर्थन दोनो हुए हैं। विरोध के पीछे ईष्या एवं द्वेष भाव भी रहा हुआ है और उन्हें जी समर्थन मिला है वह उनके सत्कार्यो के लिए मिला है। समर्थन भी जैन समाज की चारों परम्प आों में से मिला है, जबकि विरोध में सिर्फ स्थानकवासी समाज के कुछ यथास्थिति वादी साधु साध्वी एवं श्रावक श्राविकायें है परन्तु इतना तो सत्य है कि उन्होने विश्व में एक नयी ज्योति जगाई है जैन धर्म के स्वर को विश्व में मुखरित किया है। उनके सत्कार्य का, जैन धर्म के प्रचार प्रसार का मैं हृदय से स्वागत करता हूँ, समर्थन करता हूँ और इस स्तुत्य कार्य के लिए मैं उनका अभिनन्दन करता हूँ । - शास्त्री श्री विजय मुनि आगरा भगवान महावीर की अहिंसा, करुणा एवं अनेकान्त की देशना का प्रचार प्रसार तथा उसक द्वारा हृदय परिवर्तन का आध्यात्मिक प्रयोग श्री सुशील मुनि जी महाराज विदेश में कर रहे हैं। मैं उस प्राचीन इतिहास के साथ इस नये इतिहास की कडियों को जुडते हुए देख रहा हूँ। मुझे परम प्रसन्नता है कि श्री सुशील मुनि जी बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। आज जैन समाज की स्थिति को देखते हुए, नवयुवकों में धर्म भावना को घटते हुए देखकर मुझे यह अत्यन्त आवश्यक प्रतीत होता है कि हम संघठित होकर व्यापक रूप से रचनात्मक कार्य करें । -श्री राकेश मुनि लाडनूं गुरुदेव (उपाध्याय श्री अमर मुनि जी महाराज) स्थानक वासी समाज की दिव्य विभूति है उनकी साहित्य सृजना, सत्य के बहुत निकट और कान्ति की ध्वनि व चिन्तन के नव आयाम लिए हुए है। आचार्य श्री सुशील कुमार जी का अरिहंत संघ और उनके आचार्य पद की उदघोषणा हम सबके लिए मंगल मय है। उनका संघ निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर होता हुआ विकसित हो, पल्लवित हो यही मंगल कामना । -महासती आचार्य चन्दना परम श्रद्धेय आचार्य श्री सुशील कुमार जी महाराज की पवित्र सेवा में, सस्नेह जय श्री स्वामी नारायण । विशेष, इस बात से विदित होते हुए मुझे अत्यंत हर्ष हुआ है की यु.एन. ओ. के विश्वशांति के कार्यों में आप श्री भी शामिल हुए हैं और सदस्य के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले हैं। हमारी संतपदान भारतीय संस्कृति कहती है कि शांति संतो के द्वारा ही प्राप्त होती है। आप जैसे महापुरुष का प्रभावक संत व्यक्तित्व विश्वशांति के कार्यों में संविशेष संलग्न हो रहा है। वह उज्जवल भविष्य के आगमन की शंखध्वनि ही है। इसी अनुसंधान में दिल्ली में आपका शानदार सम्मान समारोह आयोजित किया गया है वह उचित ही है। आपनी के महान कार्यों के प्रति और सम्मान समारोह के लिए अपनी शुभकामनाओं के साथ भगवान स्वामिनारायण के श्रीचरणों में प्रार्थना करता हूँ कि आपके सुस्वस्थ दीर्घायुष जीवन के द्वारा लाखों का संस्कारदीप जलता रहे। - स्वामी नारायण स्वरुप दास Jain Education International 2010_02 For Private & Personal Use Only June 1994 Jain Digest www.jainelibrary.org
SR No.527055
Book TitleJain Digest 1994 06 Special Issue
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFederation of JAINA
PublisherUSA Federation of JAINA
Publication Year1994
Total Pages64
LanguageEnglish
ClassificationMagazine, USA_Jain Digest, & USA
File Size12 MB
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