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________________ छठा प्राकृत दीक्षांत समारोह सम्पन्न श्रवणबेलगोला में 27 अगस्त, 2011 को बाहुबली प्राकृत विद्यापीठ, श्रवणबेलगोला द्वारा संचालित राष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन एवं संशोधन संस्थान का छठा प्राकृत दीक्षान्त समारोह 27 अगस्त, 2011 को भव्य आयोजन के साथ सम्पन्न हुआ। समारोह की मुख्य अतिथि डॉ. सलोनी एन. जोशी, विभागाध्यक्ष, पालि-प्राकृत विभाग, गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद ने अपने दीक्षान्त भाषण में प्राकृत भाषा के विकास और शिक्षण की आवश्यकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। आपने कहा कि प्राकत भाषा के विभिन्न प्रयोग और लोक जीवन का चित्रण इस बात के परिचायक है कि प्राकृत भाषा लोक से जुड़ी रही है। प्राकृत भाषा का अध्ययन भारत के सांस्कृतिक स्वरूप को पहचानने के लिए अनिवार्य है । बाहुबली प्राकृत विद्यापीठ, श्रवणबेलगोला द्वारा प्राकृत के विद्यार्थियों का तैयार करना एक प्रकार से भारतीय भाषाओं का संरक्षण एवं देशसेवा का कार्य है । परमपूज्य स्वामी जी का यह प्रयत्न भारतीय भाषाओं के विकास के क्षेत्र में अपूर्वयोगदान होगा। डॉ. सलोनी जोशी जी ने अपने दीक्षान्त भाषण के पूर्व सत्र 2010-11 की प्राकृत परीक्षाओं के विशेष योग्यता प्राप्त विद्यार्थियों को पद एवं प्रमाण-पत्र प्रदान किये । संस्थान के निदेशक प्रो. डॉ.प्रेम सुमन जैन और परीक्षा विभाग प्रमुख डॉ. एम.ए. जयचन्द्र ने अतिथियों का स्वागत किया एवं बताया कि विद्यापीठ की इन प्राकृत की परीक्षाओं में लगभग 650 विद्यार्थी सम्मिलित हुए हैं। उन्होंने इन सफल विद्यार्थियों को प्राकृत भाषा एवं साहित्य के विकास में सहयोगी होने की शपथ (प्रमाण वचन) भी दिलाई। प्राकृत-कन्नड़ के परीक्षा प्रभारी डॉ. सी.पी. कुसुमा ने कन्नड़ माध्यम के विद्यार्थियों पदक एवं प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए प्रस्तुत किया तथा प्राकृत-हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष श्रीमती डॉ. सरोज जैन एवं परीक्षा श्री राजेन्द्र पाटील ने हिन्दी माध्यम के विद्यार्थियों को प्रस्तुत किया। विशेष योग्यता प्राप्त इन विद्यार्थियों को इस दीक्षान्त समारोह के विशेष अतिथि कर्नाटक जैन एसोसियेशन के अध्यक्ष श्री एस. जीतेन्द्रकुमार एवं पूर्व मन्त्री, केरल सरकार, श्री वीरकुमार पाटील ने प्रमाण पत्र प्रदान किये। समारोह के अतिथियों, विद्वानों एवं संयोजकों का विद्यापीठ के ट्रस्टीजनों के द्वारा हार्दिक सम्मान किया गया। समारोह के अध्यक्ष माननीय श्रीमान् एम.जे. इन्द्रकुमार जी, बैंगलूरु ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में बाहुबली प्राकृत विद्यापीठ की गतिविधियों और भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला। आपने बताया कि परमपूज्य जगद्गुरु कर्मयोगी स्वस्तिश्री चारुकीर्ति भट्टारक महास्वामी जी के दिव्यमार्गदर्शन तथा निदेशक प्रोफेसर डॉ. प्रेम सुमन जैन के प्रयत्नों से यह प्राकृत संस्थान प्राकृत साहित्य के शिक्षण और शोध का प्रमुख केन्द्र बन रहा है। इस अवसर पर प्राकृत रत्न की परीक्षा में स्वर्ण पदक विजेता विद्यार्थियों को श्री जी.पी. शांतराजु, मैसूरु तथा डॉ. एम.ए. जयचन्द्र, बैंगलुरु द्वारा नगद पुरस्कार प्रदान किया गया, जो आगे भी प्रतिवर्ष दिया जायेगा। राष्ट्रगीत के साथ यह दीक्षान्त समारोह सम्पन्न हुआ। समारोह का संचालन विद्यापीठ के कन्नड़ विभाग के प्रभारी डॉ. सी.पी. कुसुमा ने किया और विद्यापीठ के मैनेजिंग ट्रस्टी श्री एल.एस. जीवेन्द्रकुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस समारोह में देश के लगभग दो सौ विद्यार्थी और तीस प्राकृत के विद्वान एवं दस प्राकृत परीक्षा केन्द्रों के संयोजकों ने भी भाग लिया। समारोह के उपरान्त प्रमुख अतिथियों और विद्वानों के साथ परमपूज्य स्वामी जी ने चर्चा की और और श्रीक्षेत्र की ओर से प्रमुख अतिथि डॉ. सलोनी जोशी का आशीर्वाद पूर्वक सम्मान किया। डॉ. श्रीमती सरोज जैन अर्हत् वचन, 23 (4), 2011
SR No.526591
Book TitleArhat Vachan 2011 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2011
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size8 MB
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