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________________ के नीचे के भाग में विपरीत दिशा में मुख किये सिंह, मध्य में ध्वज लांछन अश्व (घोड़े) का अंकन है । दायें ओर परिकर में सिंह व्याल उसके नीचे यक्षी प्रज्ञप्ति बैठी है, प्रतिमा की दायीं भुजा अस्पष्ट, बांयी भुजाओं में खड्ग एवं पिडी लिये है। उसके नीचे यक्ष त्रिमुख मयूर पर आरूढ़ है। बलुआ पत्थर पर निर्मित 125x 40x25 से.मी. आकर की प्रतिभा लगभग 11वी सदी ईस्वी की है। जैन प्रतिमा का पादपीठ-यह प्रतिमा कव्हवारा से प्राप्त हुई है। इस प्रतिमा पर तीर्थंकर एवं चंवरधारी के पैर ही शेष है। मध्य में चक्र है, दोनों ओर विपरीत दिशा में मुख किये सिंह का अंकन है। बलुआ पत्थर पर निर्मित24x24X10 से.मी. आकार की प्रतिमा लगभग 11 वी शती ईस्वी की है। गोमेघ-आम्बिका - यह बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथ की यक्षयक्षी गोमेघ-आम्बिका की प्रतिमा पिपरहट से प्राप्त हुई है । सत्यललितासन में बैठे गोमेघ की बांयी ओर सव्य ललितासन में अम्बिका बैठी है। दोनों के हाथ खण्डित है। गोमेघ करण्ड मुकुट, कुण्डल, एकावली, दोवली हार, यज्ञोपवीत, केपूर, बलय, मेखला व नूपर पहने है। आर्वका का दाया हाथ खण्डित है, बांया हाथ लघु पत्र प्रियंकर को सहारा दिये हुये है। यक्षी करण्ड मुकुट, कुण्डल, एकावली हार, उरोज तक फैली हारावली, केयूर बलय, मेखला पहने हैं। नीचे सात प्रतिमाएं हाथ जोड़े बैठी हुई हैं। दोनों के मध्य से निकलते हुए आम्र वृक्ष की लतायें दोनों के ऊपर छाया किये हैं। जिसके मध्य तीर्थकंर नेमिनाथ पद्मासन मुद्रा में बैठे है । बलुआपत्थर पर निर्मित 30x20x8 से.मी. आकार की प्रतिमा लगभग 11 वी शती ईस्वी की है। मुड़वारा तहसील से प्राप्त उपरोक्त प्रतिमाएं अभी प्रकाश में आयी है, इन प्रतिमाओं की प्राप्ति कटनी जिले में जैन धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण कड़ी जोड़ती है। * संग्रहाध्यक्ष जिला पुरातत्व संग्रहालय हिन्दूपत महल पन्ना (मध्यप्रदेश) प्राप्त :25.01.11 82 अर्हत् वचन, 23 (4), 2011
SR No.526591
Book TitleArhat Vachan 2011 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2011
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size8 MB
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