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________________ अर्हत् वचन 23 (4), 2011 कालक्रम से शताब्दी 17वींई शदी टीकाकार साधुरंग उपाध्याय (1542) दानशेखर धर्मासागर (1571) अजितदेवसूरि (1572) विजय विमल (1577) वानरर्षि शांतिचन्द्रगणी (1603) संघविजयजी (प्रन्यास) (1617) संघविजयजी (1619) जयविजयजी (1620) नियुक्ति भाष्य चूर्णि संस्कृत टीका सूत्रकृतवृत्ति (स्तबक) भगवती / व्याख्याप्रज्ञप्ति लघुवृत्ति कल्पकिरणावली आचारांगवृत्ति (दीपिका) तन्दुलवैचारिक, गच्छाचार वृत्ति (1577 में ) गच्छाचार प्रकरण की वृत्ति जम्बूद्वीपप्रसप्ति पर प्रमेय रत्नमंजूषा की टीका प्रदीपिकीवृत्ति ( धनविजयजी ने 1624 में परिमार्जन किया ) कल्पप्रदीपिका कल्पदीपिका लोकभाषा में रचित व्याख्या
SR No.526591
Book TitleArhat Vachan 2011 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2011
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size8 MB
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