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मत- अभिमत
माह जुलाई-सितम्बर 2011 में प्रकाशित लेख "तीर्थों के पीछे क्या है' में लेखक द्वारा पृष्ठ 41 पर भगवान श्री आदिनाथजी का काल निर्धारण 20 लाख वर्ष पूर्व तथा पृष्ठ 40 पर भगवान श्री अजितनाथ जी का काल निर्धारण 10 लाख वर्ष पूर्व निर्धारण किया गया है। साथ ही पृष्ठ 37 पर 20 लाख और 10 लाख के आकड़ों को कल्पित नहीं वरन् वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित बताया है। जबकि जैन शास्त्रों में भगवान श्री आदिनाथ जी की आयु ही 84 लाख पूर्व तथा भगवान श्री अजितनाथजी की आयु ही 72 लाख पूर्व बताई गई है। इसी तरह अन्य तीर्थंकरों की आयु भी इसी प्रकार होने से लेखक के आकड़ें जैन शास्त्रों के काल वर्णन को झुठलाते हैं। बेहतर होता लेखक अपने लेख में 20 लाख वर्ष पूर्व या 10 लाख वर्ष पूर्व से अधिक ही बतला देते।
इंजी. आजाद कुमार शाह, 42, मनभावन नगर, कनाड़िया रोड़,
इन्दौर
I felt to be obliged with the Library as well as Dr. Anupamji Jain on visiting the Institution.
Devendra Doliya 21.07.2011
सारा साहित्य जो संभव हो सकता है एक जगह पर रखे जाना, उसे देखकर व उसके बारे में जानकर अत्यधिक सुखद् अनुभूति हो रही है..... साधुवाद व शुभाशीष इस स्तुत्य व प्रबुद्ध वर्ग की प्यास बुझाने वाले अनुकरणीय कार्य की। अल्प समय रूककर ही बहुत अच्छा लगा..... 14.10.11
मुनि अनुज सागर
ICTM-2012 Third Internation Conference on Indian Civilisation through the Nillennia Jambudvipa-Hastinapur, 2-3 March 2012 last date for submission of papers - 31.12.2011.
For more details and Information Broucher Contact to: Prof. S.C. Agrawal Convenor - ICTM 2012 Director SBAS Shobhit University
NH-58, Modipuram Meerut - 250110 email: ictm.shobhituniversity@gmail.com
अर्हत् वचन, 23(4), 2011
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