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C06-2011
डॉ. बिटनी बउमान का व्याख्यान KUNDAKUNDA JNANAPITHA, INDORE
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के शोध
केन्द्र कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इंदौर द्वारा सामयिक Lecture by Dr. W e y Bauman, F. 1.0.. Miami (U.S.A.)
और महत्वपूर्ण विषयों पर प्रसिद्ध विद्वानों को Jainis Environmental Science
आमंत्रित कर व्याख्यान आयोजित करने के क्रम में दिनांक 7 जून 2011 को फ्लोरिडा अंतर्राष्टीय विश्वविद्यालय, मियामी (अमेरिका) के डॉ. बिटनी बउमान का व्याख्यान जैन धर्म और पर्यावरण विषय पर आयोजित किया गया।
आपने कहा कि विज्ञान सम्पूर्ण पृथ्वी की
उन्नति के लिये होना चाहिए। जिसके तहत डॉ अजित कासलीवाल डॉ. बिटनी बाउमान का स्वागत करते हुए। सम्पूर्ण जीवधारियों अर्थात नदियों, वृक्षों, पशुसमीप है डॉ. प्रकाश चन्द्र जैन
पक्षियों आदि सभी के संरक्षण और विकास की जरूरत है। जैन धर्म के अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांत के सिद्धांतों को मूल में रखकर यदि वैज्ञानिक कार्य करें एवं यदि वैज्ञानिक शोधों का इस हेतु उपयोग किया जाए तोहीहम भावी विनाश से बच सकते हैं। विश्व के सभीधर्मों में इन सिद्धांतों से संबंधित बातें न्यूनाधिक रूपों में भिन्न शब्दों में मिलती हैं किन्तु जैन धर्म में इसका अधिक तर्कसंगत विवेचन प्राप्त होता है। आपने जैन धर्म के सिद्धांतों की वैज्ञानिकता और जैन धर्म और विज्ञान के विकास में इसकी प्रासंगिकता की विस्तार से चर्चा की।
ब्र. अनिल जैन शास्त्री के मंगलाचरण से प्रारंभ कार्यक्रम की अध्यक्षता कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ के निदेशक प्रो. ए.ए. अब्बासी ने की। आपने कहा कि कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ का पुस्तकालय जैन साहित्य की दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध है तथा जैन धर्म के किसी भी पहलू पर कार्य करने वाले शोधार्थी का शोधकार्य तब तक पूर्ण नहीं हो सकता जब तक वह यहां के भण्डार का आडोलन न करें। मंचासीन विशिष्ट अतिथि प्रो. पी.एन. मिश्र ने कहा कि धार्मिक सिद्धांतों को वैज्ञानिक प्रयोगों की कसौटी पर कसना उचित नहीं है क्योंकि वैज्ञानिक उपकरणों एवं ज्ञानेन्द्रियों की अपनी सीमाएं हैं। जबकि हमारे ऋषियों नेअतीन्द्रिय ज्ञान के आधार पर धार्मिक सिद्धांतों की रचना की है। । अतिथियों का स्वागत संस्थाध्यक्ष डॉ. अजित कासलीवाल ने किया एवं ज्ञानपीठ की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी देते हुए सशक्त संचालन संस्था सचिव डॉ. अनुपम जैन ने किया।
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व्याख्यान देते हुए डॉ. बिटनी बाउमान (अमेरिका)