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A 3.22 T. Ganesan: Condition of Jaina Society as Gleaned from Tirunkondai Inscriptions, 3(4), 7-10
A 3.23_Jain, A. P. Transitive Elements of Music in Jaina Works, 3 (4), 13-16
A 3.24 Jain, H.C.: Jainism and Principles of Health, 3 (4). 17-19 A3.25 जैन, रामजीत (एडवोकेट) भारत में विशाल मूर्तियों के निर्माण की परम्परा 3 (4) 21-23
A 3.26 जैन, कमलेश जैन परम्परा में पंचास्तिकाय की अवधारणा, 3 (4) 25-34
:
A 3.27 कनकनंदि (उपाध्याय - मुनि) : मंत्र का वैज्ञानिक विश्लेषण, 3 (4), 35-39
A 3.28 जैन, नीलम
चरणस्पर्श का वैज्ञानिक आधार है 3 (4) 41-44
A 3.29 जैन, कुन्दनलाल
A 3.30 जैन, रत्नलाल A 4.1 गुप्त, राधाचरण
A 4.2
A 4.3
A 4.4
A4.5
:
बाजपेयी, कृष्णदत्त
जैन, लक्ष्मीचन्द्र एवं प्रभा, सतीश्वरी आविष्कार में सहयोगी हुए?, 4(1), 13-20
देवगण (लुवच्छगिरी) के सिंघई होलिचन्द्र, 3 (4). 45-49
कर्मवाद का मनोवैज्ञानिक पहलू, 3 (4), 51-60
चीन और जापान में पाई के जैनमान (10) की लोकप्रियता 4(1), 1.5
Shastri, T.V.G.: Architecture of Early Jaina Structures in Krishna ( Krsna) Valley. 4 (1), 21-38
:
Jain Education International
,
Jain, A. P. The Emergence of Drone in Indian Music as Dipicited in Jaina Sources, 4 (1), 39-43
A 4.14 जैन, प्रकाशचन्द्र
A 4.15 शुक्ल, राममोहन
A 4.16 जैन, प्रकाशचन्द्र A 4.17 जैन, स्नेहरानी
A 4.6
A 4.7
Gupta, R. C. Mahäviracärya's Rule for the Arca of a Plane Polygon, 4(1), 45-54 Rajagopal, P: Practical and Commercial Problems in Indian Mathematics, 4(1), 55-70 A 4.8 गुप्तिसागर ( उपाध्याय) तीर्थंकर ऋषभ का अनन्य अददान जीवन की सम्पूर्ण कलाएँ, 4 (2-3), 19-24
A 4.9 शास्त्री, सुमन (ब्र.) : जैन दर्शन अध्यात्म / विज्ञान, 4 (2-3), 25-28
A 4.10 अग्रवाल, सुरेशचन्द्र जैन गणित के क्षेत्र में शोध के नये क्षितिज, 4 (2-3), 29-36
A 4.11 जैन, रमेशचन्द्र
A 4. 12 जैन, कमलेश
A 4.13 झा, परमेश्वर
1:
जैन श्रमण परम्परा 4(1), 7-12
:
क्या सम्राट चन्द्रगुप्त दक्षिण भारत में मुनि रूप में ब्राह्मी लिपि के
:
जैन दर्शन एवं आधुनिक विज्ञान, 4 (2-3), 37-40
जैनधर्म में श्रमण एवं श्रावक परम्परा, 4 (2-3), 41-43 जैन ज्योतिष गणित आर्यभट प्रथम, 4(2-3), 45-50
:
मालवा में मूलसंघ की भट्टारक परम्परा (अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर), 4(2-3), 51-54
राजगढ जिले की पुरा सम्पदा जैन मूर्तियों के सन्दर्भ में, 4 (2-3), 55-61
जैन विद्या के महामेरू आचार्य कुन्दकुन्द 4 (2-3), 63-67
:
वर्तमान आयुर्वेदिक पद्धतियों के स्वरूप, 4 (2-3), 69-77
:
अर्हत् वचन, 15 (1-2), 2003
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