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गोविन्दसिंह के पुत्रों की हत्या के पीछे यही कारण था ।
औरगंजेब के अंतिम दिनों में विद्रोह और अधिक हो गये थे। चूँकि अफगानों को छोड़कर शेष सभी विद्रोहों का नेतृत्व हिन्दूओं के हाथों में था, अतः देश के अधिकतर हिन्दुओं की भावनायें इन विद्रोहियों के पक्ष में तथा मुगलों के विरोध में होती चली गईं तथा मुगलों के प्रति नफरत पैदा करने के उद्देश्य से औरंगजेब को हिन्दू विरोधी कहा
जाने लगा ।
सन्दर्भ -
1. मध्यकालीन भारत, भाग 2, प्रकाशक- रा. शै.अ.प्र. परिषद, नई दिल्ली
2. हिन्दी जैन भक्ति काव्य और कवि, डा. प्रेमसागर जैन, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन
3. वही, पृ. 243
4. वही, पृ. 253
5. वही, पृ. 269
6. वही, पृ. 290
7. वही, पृ. 312
प्राप्त - 4.5.2000
श्री रायबहादुर ओंकारजी कस्तूरचन्द ट्रस्ट द्वारा 2 नये पुरस्कार स्थापित
रायबहादुर ओंकारजी कस्तूरचन्द ट्रस्ट, इन्दौर द्वारा वर्ष 2000 से 2 वार्षिक पुरस्कारों की स्थापना का निर्णय लिया गया है। इन पुरस्कारों का विवरण निम्नवत्
1. ज्ञानोदय ज्योतिष - तंत्र-मंत्र पुरस्कार यह पुरस्कार जैन परम्परा के अनुसार ज्योतिष तंत्र-मंत्र के क्षेत्र में विगत पाँच वर्षों में किये गये मौलिक प्रकाशित / अप्रकाशित शोध कार्य हेतु प्रदान किया जायेगा।
2. ज्ञानोदय आयुर्वेद पुरस्कार
यह पुरस्कार जैन आयुर्वेद के क्षेत्र में विगत पाँच वर्षों में किये गये मौलिक प्रकाशित / अप्रकाशित शोध कार्य हेतु प्रदान किया जायेगा ।
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अर्हत् वचन, अप्रैल 2001
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प्रत्येक पुरस्कार के अन्तर्गत रुपये से सम्मानित किया जायेगा। कृपया अपने कागज पर प्रस्ताव निम्न पते पर 31 दिसम्बर 2001 तक प्रेषित करें -
11,000/- की राशि, प्रशस्ति, शाल, श्रीफल सम्पादित कार्य के पूर्ण विवरण सहित सादे
डॉ. अनुपम जैन
सचिव- कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ,
584, महात्मा गांधी मार्ग, तुकोगंज, इन्दौर - 452001
फोन : 0731-545421, 545744
पुरस्कारों का निर्णय एतदर्थ मनोनीत निर्णायक मंडल द्वारा किया जायेगा ।
■ अजितकुमारसिंह कासलीवाल
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