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________________ अर्हत् वच कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर वर्ष - 12, अंक- 2, अप्रैल 2000, 4548 णमोकार मंत्र की जाप संख्या और पंच तंत्री वीणा ■ जयचन्द्र शर्मा अक्षर शक्ति से समस्त संसार का शक्तिविहीन नहीं हैं। अक्षरों का जब होती है। उस ध्वनि में कोमलता, महामंत्र के प्रत्येक अक्षर में दैविक शक्ति है। व्यापार चलता है। अक्षर चाहे किसी भी भाषा के हों उच्चारण करते हैं तब एक प्रकार की ध्वनि उत्पन्न मधुरता एवं कठोरता के भाव पाये जाते हैं। मंत्र के जाप में कोमलता एवं मधुरता के भाव होने पर ही उसका प्रभाव होता है। मुख से मधुर ध्वनि के साथ मंत्र को प्रगट किया और अन्तरावस्था में कठोरता के भाव भरे हैं, ऐसी भावना को समाप्त करने के लक्ष्य से ऋषियों, मनीषियों ने मंत्रों की जाप संख्या अधिकाधिक अर्थात् लाखों एवं करोड़ों तक का उल्लेख किया है। अक्षरांक - शक्ति का उपयोग चेतन एवं अचेतन पदार्थों के प्रभाव को जानने के लिये किया जाता है। योगी एवं वैज्ञानिक अपने विषयों की गहराई तक पहुँचने के लिये अक्षरांक - शक्ति का सहारा लेते हैं। उन ध्वनियों में रस है, रंग है और परमात्मा से साक्षात्कार कराने की अभूतपूर्व शक्ति है। इस शक्ति को प्राप्त करने की दृष्टि से प्राचीन ऋषि-मुनियों ने मंत्र, यंत्र एवं तंत्र विद्याओं को आधार माना है। मंत्र विद्या सत् गुण प्रधान है। अतः मंत्र के जाप से आत्मा में कोमलता के भाव उत्पन्न होते हैं जो भगवान को भी प्रिय हैं। महामंत्र का जाप कितनी संख्या में किया जाये, उसका फल उक्त संख्याओं की शक्ति अनुसार जाप कर्ता को होगा। किस लाभ के लिये कितने जाप किये जायें, इस संबंध में जैन साहित्य एवं विद्वानों के लेखों का अध्ययन किया जाये । जाप संख्याओं की जानकारी के संबंध में दो प्रकार के विधि-विधान का आधार लिया जाये तो वैज्ञानिक दृष्टि से अप्रमाणिक नहीं माने जा सकते। प्रथम प्रकार गुणोत्तर प्रणाली एवं द्वितीय प्रकार है अक्षरांक प्रणाली । - गुणोत्तर प्रणाली महामंत्र के प्रत्येक पद के अक्षरों का गुणा करें। जैसे 'णमो अरिहंताणं', इस पद में सात अक्षर हैं। इनकी सात संख्याओं का गुणनफल निकालें 1x2x3x4x5x6x7 = 5040 जाप में ॐ का उपयोग करते हैं तो एक अंक बढ़ जाता है, इस आठवें अंक को उपर्युक्त संख्या से गुणा करने पर निम्न संख्या प्राप्त होगी 5040x8 40320 द्वितीय में पांच अक्षर हैं 'णमो सिद्धाणं'। इसका गुणनफल - 1x2x3x4x5 = 120 तृतीय पद ‘णमो आयरियाणं' के सात अक्षर हैं। इसका गुणनफल 1x2x3x4x5x6x7 = 5040 चतुर्थ पद 'णमो उवज्झायाणं' के भी सात अक्षर हैं। इसका गुणनफल 1x2x3x4x5x6 x 7 = 5040 * निदेशक - श्री संगीत भारती, शोध विभाग, रानी बाजार, बीकानेर- 334001
SR No.526546
Book TitleArhat Vachan 2000 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2000
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size6 MB
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