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SHRUTSAGAR
August-2019 प्रामाणिक मनुष्य पोताना विचारो अने आचारोथी प्रामाणिक गुणनुं वातावरण विश्वमां फेलावे छे अने ते प्रामाणिक गुणना वातावरणना संबंधमां जे जे मनुष्यो आवे छे ते ते मनुष्योने प्रामाणिक गुणनी असर थाय छ ।” ___ आ विचारोमा आचार्यश्रीनी दृष्टि पोतानी आसपासनी वास्तविक परिस्थितिने पूरेपूरी पारखे छे, आथी प्रामाणिकपणाना दुन्यवी लाभो पण ते दर्शावे छे। आनी साथोसाथ तेओ कर्मयोगी ए आत्मयोगी होवाथी, आत्मोन्नतिमां आ गुणनी उपकारकता दर्शाववानुं पण चूकता नथी। मानवीए दैवी संपत्ति वधारवानी छे, अने ए संपत्तिमां प्रामाणिकतानो गुण पण केटलो फाळो आपी शके छे, ते तेओ बतावे छे।
गच्छ, संघाडा अने संप्रदायोमा चालता ममत्व विशेनी एमनी आंतरवेदना पण एक नोंधमां व्यक्त थाय छे । तेओ लघु वर्तुळमाथी अनंत आत्मशुद्ध वर्तुळमां प्रवेशवानी हिमायत करे छे अने आमां एमनी व्यापक तेम ज समन्वयसाधक दृष्टिनो परिचय सांपडे छे।
तेओ पोताना विहारनां स्थानोनुं पण वर्णन आपे छे । ए स्थानोना जैनोनी अने जैनमंदिरोनी विगतो आपे छे। शिलालेखोनो झीणवटभेर अभ्यास करे छ। वि. सं. १९७१ना महा वद १३ने शुक्रवारे देलवाडाथी आबु आव्या अने एक इतिहासना संशोधकनी जेम तेओ पोतानी नोंधमां लखे छे - ___“वस्तुपाल अने तेजपालना देरासरमां देराणी-जेठाणीना गोखला कहेवाय छे, परंतु ते पर लखेला लेखना आधारे खोटी पडे छे । तेजपालनी स्त्री सुहडादेवीना श्रेयार्थ ते बे गोखलाओने तेजपाले कराव्या छे।”
आ रीते आचार्यश्री जैनमंदिरोना शिलालेखोनो झीणवटभेर अभ्यास करे छे अने साथोसाथ धर्मस्थानना आत्मज्योति जगाडता प्रभावने अंतरमा अनुभवे छे। आथी ज तेओ कहे छे -
“चेतनजीने खेडब्रह्मा, देरोल, गलोडा वगेरेमा स्थावर तीर्थनां दर्शन करावी आत्मरमणतामां वृद्धि करवा यात्रानो प्रयत्न सेव्यो।”
आचार्यश्री बुद्धिसागरसूरिजीनी एक विशेषता ए छे के एमणे भुलायेली योगसाधनाने पुनः प्रतिष्ठा आपी। आ रोजनीशीमां अध्यात्मज्ञान संबंधी तेओ विस्तृत चर्चा करे छ। आमां एमनो शास्त्रनो अभ्यास, विचारक तरीकेनी सूक्ष्मता, कथनने क्रमबद्ध आलेखवानी कुशळता तेम ज पोताना कथयितव्यने शास्त्रना आधारो टांकीने दर्शाववानी निपुणता जोवा मळे छे। रोजनीशीनां सडसठ पानांओमां एमणे आ
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