________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्रुतसागर
अप्रैल-२०१९ सुणी व्यतिकर वृषभ केरउ, आव्यिउ मनि वयराग रे। अथिर तनु धन सजन-संगति, जस्यिउ संध्याराग रे वंदीइ.. ॥१२॥ यौवन जाई जरा व्यापइ, कारिमु ए पिंड रे। जीव अबल अनाथ असरण, धर्म एक अखंड रे
वंदीइ... ॥१३॥ परिहरी सवि राज रामणि', मस्तकि कीधउ लोच रे। देवताइं वेस दीधउ, भलउ ए आलोचरे
वंदीइ... ॥१४॥ विहरइ करकंडू मुनीसर, पहिलु प्रत्येकबुद्ध रे। लेइ फासू" भात पाणी, चरण करण विसुद्ध रे
वंदीइ... ॥१५॥ उग्र तपी एकल-विहारी, नव कलपी विहार रे। करइ महाव्रत पंच पालइ, ब्रह्मचर्य उदार रे
वंदिइ... ॥१६॥ साधु दशविध धर्मधारक, इंद्र करइ परसंस रे। जाति समरण लहइ केवल, भाजइ भविजन संसरे वंदीइ... ॥१७॥ आयु पूरण करी मुनिवर, पाम्या मुगति सुठाण रे। राजरत्न उवझाय हरखइं, करइ मुनिगुण गान रे
वंदीइ... ॥१८॥ ॥ इति प्रथम प्रत्येकबुद्ध सज्झाय करकंडू मुनिनी ॥१॥
॥राग-वइराडी। कुंता रे माता इम भणइ-ए देशी॥ प्रत्येकबुद्ध गुण गाईइ, दुमुह नामि रषिराय रे । अथिर रूप संसारखें, देखी थयुं निरमाय रे प्रत्येक... (आंचली)।१।। आरिज देस सोहामणउ, प्रसिद्ध पंचाल सुठामो रे। कांपिलपुर वर जाणीइ, जय राजा शुभ नामोरे
प्रत्येक... ॥२॥ गुणमाला तस कामिनी, रूप कला सुविशालो रे। एक दिनि नरपति हरखसिउं, मंडावइ चित्रसालो रे प्रत्येक... ॥३॥ खणतां मुगट ज प्रगटीउ, सर्व रत्नमय सार रे। पूरी सभा निज सिरि धरिउ, मुख प्रतिबिंब उदार रे प्रत्येक... ॥४॥ ते देखी सवि जन कहइ, दुमुह नामि भूपाल रे।
दैवत वस्तुथी सवि लहइ, ऋद्धि वृद्धि मंगलमालो रे प्रत्येक... ॥५॥ १६. प्रसंग, १७. शरीर, १८. प्रासुक, १९. शंका, २०. धारण कर्यु, / 2.पाठांतर-राज राणिम
For Private and Personal Use Only