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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR March-2019 उपयोगी थइ शकती नथी, एy कारण ए छे के सर्व जीवोने भिन्न भिन्न कर्म लागेलां होवाथी तेओनी एक सरखी विचार श्रेणि अने मोक्ष मार्ग प्रवृत्ति पण एक सरखी होती नथी. आवी स्थिति खरेखर विश्वनी छतां गृहस्थ चातुर्वर्णिक धर्म कर्मनी विचाराचाराव्यवस्थानुं बंधारण करी तेओ सर्व जीवोने सत्वगुणी बनाववा प्रयत्न करे छे अने आत्मानी परमात्मता प्रकट कराववा सर्वोपायोने दर्शावे छे. सत्वगुणी मनुष्यो दैवी संपत्तिवाळा छे अने तेओनुं मुख्यताए आर्य क्षेत्रना भूतोना उपग्रहे अवतरवु थाय छे. अन्य देशोमां सात्विकगुणी मनुष्यो गौणताए उपजे छे एम छतां आर्यक्षेत्रना आर्य मनुष्योनी सात्विकता तो जुदा प्रकारनी होय छे. अनन्त साधुओए अने तीर्थंकरोए आर्यक्षेत्रनी मृत्तिकामांथी पोताना देहने पोष्यो छे अने तेओए अनन्त देहोने आर्यक्षेत्रनी मृत्तिकामांथी विलयभूत कर्या छे. तेओना शरीरना पंचभूतना भाग पंचभूतमां आर्यक्षेत्रमा उपजे छे. तेओ सर्व सामग्रीद्वारा द्रव्य-क्षेत्रकाल-भावयोगे परमात्मपद प्राप्त करवा अधिकारी बने छे. आर्यक्षेत्रमा उत्पन्न थएल मनुष्योने आर्य गुणोनी संप्राप्ति खरेखर अनार्य क्षेत्रो करतां वहेली थाय ए सर्वथा सर्वदा सर्व रीते संभाव्यमान छे. (धार्मिक गद्य संग्रह भाग-१ पत्र नं.१४६) क्या आप अपने ज्ञानभंडार को समृद्ध करना चाहते हैं ? आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा में आगम, प्रकीर्णक, औपदेशिक, आध्यात्मिक, प्रवचन, कथा, स्तवन-स्तुति संग्रह आदि विविध प्रकार के साहित्य प्राकृत, संस्कृत, मारुगुर्जर, गुजराती, राजस्थानी, पुरानी हिन्दी, अंग्रेज़ी आदि भाषाओं में लिखित विभिन्न प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित अतिविशाल बहुमूल्य पुस्तकों का संग्रह है, जो हमें किसी भी ज्ञानभंडार को भेंट में देना है. यदि आप अपने ज्ञानभंडार को समृद्ध करना चाहते हैं तो यथाशीघ्र संपर्क करें. पहले आने वाले आवेदन को प्राथमिकता दी जाएगी. For Private and Personal Use Only
SR No.525344
Book TitleShrutsagar 2019 03 Volume 05 Issue 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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