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SHRUTSAGAR
March-2019 गुजराती बोलीमा विवृत अने संवृत ए-ओ
चुनीलाल वर्धमान शाह (१) गुजराती बोलीमां ए अने ओ जेवा विवृत (पहोळा) उच्चारो हिंदनी बीजी भाषाओनी तुलनामां मूकतां कांइक विशिष्टतावाळा छ । केटलीक भाषाओमां विवृत उच्चार ज नथी। बंगाळी भाषानो विवृत उच्चार गुजराती विवृत उच्चारथी जूदा प्रकारनो छे; मात्र मारवाडी भाषाना विवृत उच्चारनी साथे ज गुजराती बोलीना विवृत उच्चारनी समानता देखाइ आवे छे; अने ते उपरथी मारवाडी तथा गुजराती प्रजानी उच्चारणपद्धतिमां स्वरो पर वजन मुकवानु केटलुक साम्य होवू जोईए एम प्रथम दृष्टिए ज मालूम पडे छ । गुजराती उच्चारनी विवृततामां बीजां पण कारणोनुं अस्तित्व छे, पण मुख्यत्वे करीने मारवाडी उच्चारणपद्धति अने मारवाडनी पडोशमां ज आवेला गुजरात तथा सौराष्ट्रना केटलाक प्रांतोनी उच्चारणपद्धतिमां एवं साम्य मानवानुं कारण ए छे के सौराष्ट्रना गुजराती भाषा बोलता केटलाक भागोमां विवृत उच्चार बहु थोडो छे। सोरठ, बरडो, मच्छुकांठो अने हालारना केटलाक भागनी प्रजाना उच्चारणमां अने सौराष्ट्रना झालावाड, गोहीलवाड जेवा गुजरातनी सीमात पर आवेला प्रांतोनी प्रजानां उच्चारणोमांजे भिन्नता आ विवृतोच्चारना संबंधमां देखाइ आवे छे, ते भिन्नता दर्शावी आपे छे के गुजराती बोलीना विवृत ऍ अने ऑ मारवाडी विवृत उच्चारोनी साथे ज अस्तित्वमां आव्या होवा जोईए । सौराष्ट्रना जे प्रांतोमां विवृत उच्चारण अल्प छे, तेनी उपर कांईक कच्छी बोलीनी असर देखाय छे; जेमां पण विवृत ऍ अने ऑ नुं स्थान बहु ओछु छे।
गुजरातमां अने सौराष्ट्रमां प्रांत भेदे उच्चारण भेद जोवामां आवे छे, त्यां विवृत-संवृत (पहोळा-सांकडा)नो एकसरखो नियम जळवायेलो जणातो नथी। अमदावादमां लेवू शब्द सुरतमां लॅq बोलाय छे; घोडो शब्द सोरठमां बराबर बोलाय छे, त्यारे झालावाडमां घॉडॉ बोलाय छे; गुजरातमां ऍ अने ऍमनुं शब्दो सोरठमां *ए अने एमर्नु तथा झालावाडमां ई अने इमर्नु बोलाय छे,. गुजरातना केटलाक वर्णोना गामडीया पॅसे-बॅसें ने पीशी-बीशी बोले छे, सोरठीओ पेसे-बेसे बोले छे अने झालावाडीओ तथा गुजरातीओ पॅसे-बॅसें बोले छे। तात्पर्य ए छे के विवृत (अने अर्धविवृत पण) तथा संवृत उच्चारोमां प्रांतिक भेदो छे अने ए भेदो स्वरोना उच्चारमा *आ आखा लेखमां बाळबोध लिपिनो शुद्ध ए अने ऐ न वापरतां ए अने ऐ वापर्या छे, कारणके ते आ लेखना वाचनमां सुगम्य छे.
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