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श्रुतसागर
जनवरी-२०१९ सोळमा शतकनी गुजराती भाषा
___मधुसूदन चिमनलाल मोदी रा. केशवराम शास्त्रीए सं. १४५९नु जे खत छपाव्यु छे तेनी वास्तविकता पूरवार करवा तेमणे सं. १४७४ना पावळीआना लेखनो टेको लीधो छ । स्वरयुग्म अउ ओ थयानो तेमां पूरावो रजु को छ । पावळिया सामान्य रीते माणसना मरण पछी ऊभा करवामां आवे छे; एटले व्यक्तिना मरणनो सालदिवस एज पावळिया लखाणनो सालदिवस होय एम मानवाथी आपणे प्रमाणाभासमां पडीए छीए सं. १४५९ वाळा खत संबंधे मारे एटलुं ज पूछवानुं के ते काले प्रवर्तमान विभक्तिना अनुषंगी शब्दो जेवा के रहइ, तउ, थउ (जे मुग्धावबोध-औक्तिकमां निर्दिष्ट छे) तेना प्रयोग तेमां मालूम पडे छे? जो ए तेमां मालम न पडता होय तो दस्तावेज अने पावळीआनो समय संदिग्ध ठरे छे। लेखनप्रकार आंतरिक भाषा-घडतरना अनुवादात्मक पूरावा तरीके होइ शके; नहि के स्वतन्त्र पूरावा तरीके. अत्यारसुधीनां बधां विवेचनोमां आ लेखनप्रकारना पूरावा (स्वरयुग्म अइ=ए अने अउ ओ)नो स्वतन्त्र पूरावा तरीके उपयोग थयो छे। पंदरमा अने सोळमां सैकामां ‘जालहर'-मारवाडथी मांडी प्रभास पाटण अने जूनागढ तरफ पश्चिममां अने नवसारी सुधी दक्षिणमां घडतरमां सरखी ज गुजराती भाषा प्रवर्तमान हती। सोळमा सैकाना आदिमां आ अनुषंगी शब्दो वपराशमां ओछा थवा लाग्या। ते काळना गद्यनां अवतरणो सालवारी प्रमाणे उपर टांक्यां छे ते उपरथी आ विधाननी यथार्थता समजी शकाशे।
उपर जेम गद्यनी चर्चा करी तेवीज रीते सोळमा सैकानी कविताना पूरावा उपरनु विवेचन अनुपूर्ति तरीके आपq सयुक्तिक छ। लेखनप्रकारनी बाबतमां बहु सावचेतीथी पूरावा आपवानी जरूर छे। श्री नरसिंहरावे Gujarati Language and Literature Vol ll P. 205-207 पर आपेला नियमो सामान्य रीते हाथप्रतोनी भाषा पारखवा काजे स्वीकार्या छे । ते काळना कविओनी भाषा चर्चा माटे नीचेनो कोठो ठीक थई पडशे:कवि ग्रंथनाम रचना साल
हाथप्रतनी सा. जयशेखरसूरि त्रिभुवनदीपक प्रबंध पंदरमो सैको आशरे १४६२ x शालिसूरि विराटपर्व
सं.१६०४ वसंतविलास
सं.१५०८
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