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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra SHRUTSAGAR 25 भविअण भाव भलु धरी, पालु जिनधर्म सार । सुपन तणी परि दोहिलु, मानव भव' अवतार जाग्यु ए पूछइ कापडी, सुहिणा तणु अ विचार । गुलधी' सहित रोटिलु, पांमसि आखु सार आहार लेवाए ते गयु, पांम्यु तेह आहार । दिवस केतले ते सुणिउ, मूलदे सुपन विचार सुपन लहयानइ कारणिइ, मांडइ अधिक उपाय। पणि ते सुहिणुं' किम लहइ, ते किम थाइराय देवजोगइ' ए ते लहइ, न लहइ हारिउ नरजन्म । सोमविमलसूरि इम भणई' इम जाणी करि धर्म www.kobatirth.org 5 कहइ 6 aसमति, bसुमति 7 aरतिवती, bऋतुवती ॥ इति सुपन दृष्टांत- ६ ॥ ।। ढाल वीवाहलानी ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इंद्रपुर नयर सोहामणुं, तिहां इंद्रदत्त राय रूलीआमणुं ए राणी अ तसु बावीसु ए, बेटा बावीस पूरइ जगीसु ए पुत्री अ सुमति' मंत्री तणी ए, राय परणी अ रुपि रंभा भणी ए । कसइ एक बोलइ परहरी ए, एक दिन देखीनइ आदरी ए तिणि दिनि हंती ऋतुवती' ए, रहिउ आधांन हुई पुत्रवती ए। ते दिन तिहांथी लेखविउ ए, निअ वहीइं महितइ ते ठविउ ए तिणि दिनि दासी अ चिहुं तणा ए, पुत्र च्यार हुआ सोहामणा ए । वाधइ पंच महिता घरइ ए, नवि जाणइ भूपति तिणइ परि ए सुरेंद्रदत्त नाम सहु कहइ ए, रायनंदन कोई नवि लहइ ए । पंडित पढावा राखीउ ए, दिनि थोडे ते सवि सीखीआ ए 1 मणूअ जनमि 2 थीगुल 3 सुणु 4 देवतियोगि For Private and Personal Use Only June 2018 ।।द्रुपद।।२।। भवी०॥३॥ भवी०॥४॥ भवी० ॥५॥ भवी०॥६॥ 11211 ॥२॥ ॥३॥ ॥४॥ 11411
SR No.525335
Book TitleShrutsagar 2018 06 Volume 05 Issue 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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