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SHRUTSAGAR
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बावन्न चंदन्न“ नव कपूर केसर कसूतूरी" । निर्म्मल नीरहि घसीय हेमपिगाणी पूरी करइ विलेपन वार वार नव अंगि उदार । करण(चरण) जानु कर खंध सीस उर उदर विचार | तिलक करीजइ भालियलि वलि कंठ सुठाण १२ । इणिपरि बीजी पूज एह जिणसासणि जाण२३ जिनवरनइ जिम देवराय दीष्या४ नइ अवसरि । दिव्यवस्त्र५ बहु भावसुं पिहरावइ" सुंदरि । तिम जिनप्रतिमा तणीय पूज करतां मन भावइ । सुरंग सुगंधा" वस्त्रुजुगलि" प्रभु नइ पहिरावइ ।। ढाल जम्मावसी नी ॥
हिव चउथी पूजा करणहार, नव चंदन केसरि घसि विचार । अधिवासीय मृगमद्द नव कपूर, तिणि वासि वसइ वर वासु भूर प्रभु अंगइ करीयइ वासखेव, सुणि पंचम पूजा प्रकार हेव । जिम सुरपति सुरतरु कुसुम माल, पंच वर्णइ परिमल घण रसाल नव सोवन चंपक महमहंति, वर केतकि केवडउ सुविहसंति । तिम मरुयउ मोगर दमण पान, सेवंत्रीय जूहीय नवल वान अरविंद गुलाल सुकुंद जाइ, नव पाडल वेउल सुम सुहाइ । इम छूटे फूले करीय पूज, हिव माला कंठइ छठीय पूज
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आठमी पूज अरिहंतनी, सीतल सुरभि घनसार रे । चूरण वास वली चूरीइ, पूरीय पुन्य भंडार रे
नवमीय पूज इम निरखीय े, सोवन कलस धज दंड रे । महामहोच्छव मंडिउ, दीजइ दान अखंड रे
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June-2018
॥५॥
॥६॥
11611
11211
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॥१०॥
॥ ढाल ॥
सातमी पूज सामी तणी, हिव करइ समकित धार रे 1 वर्ण पंचइ करी वर्णवी, अंगि अंगी रची सार रे जोवउ जोवउ श्री जिनसासणइ, पूज तणी परि एह रे ।
भगति भावइ करी कीजतां, लाभइ लाभइ भव तणउ छेह रे जोवउ ०॥१३॥
॥११॥
॥१२॥
जोवउ ०||१४||
जोवउ ०।।१५।।