________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ऋषभपंचाशिका
ब्राह्मी लिपिमा एक प्रयास (गतांक से आगे...)
किरीट के. शाह. LE1880II 188 od 0852 8t उप्पन्नविमलनाणे तुमंमि भुवणस्स विअलिओ मोहो। AIIALI४' AII ४ ॥१६॥ सयलुग्गयसूरे वासरंमि गयणस्स व तमोहो ॥१६॥ 48811 ist 58 dti † PILI पूआवसरे सरिसो, दिट्ठो चक्कस्स तं सि भरहेण ।
8 dlukt, AHI I.. ४.४।१७।। विसमा हु विसय तिन्हा, गरुआण वि कुणइ मइमोहं ॥१७॥ ८८४/४ ४
+JA8+ पढमसमोसरणंमुहे, तुह केवलसुरवहूकओज्जोआ। हा प्र.:. हा 181UALICE ॥१८॥ जाया अग्गेइ दिसा, सेवासयमागयसिहिव्व ॥१८॥ ACHAITABJI I LIC Burn गहिअवयभंगमलिणो, नूणं दूरोणएहिं मुहराओ। 0.:.1 ८८४Hd 05/1८८४ ॥१९॥ ठइओ पढमिल्लुअतावसेहिं, तुह दंसणे पढमे ॥१९॥ R IBGAIL &GL84 I +J8.4 तेहिं परवेढिएणय, वूढा तुमए खणं कुलवइस्स। 10 HbJTJREP+JI ॥२०॥ सोहा विअडंसत्थलघोलंतजडाकलावेण
॥२०॥ ८ ४ |
UFILMS तुह रूवं पिच्छंता, न हुंति जे नाह हरिसपडिहत्थ।
For Private and Personal Use Only