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श्रुतसागर
मे-२०१७ संकेत साचा तस तणा ए माहालंतडे, जे दीठानी द्रष्टि; तेअने धिन धी हऊया ए माहालंतडे, होसिइ निइणि सृष्टि ॥२९॥ ॥३३॥ सयल देवातन परीहरी ए माहालंतडे, आराहउ श्रीभाद; तुम्ह जिम वंछित पूरवइ ए माहालंतडे, अनइ समरउ दइ साद ॥३०॥ ॥३४।। भादराय अवदात तणी ए माहालंतडे, वात सुणी नर-नारि; चींतवइ अभिनवउ कुतिगू ए माहालंतडे, दीसण इणि संसारि॥३०॥ ॥३५॥ एक चित्त जे नरवरु ए माहालंतडे, समरइ श्रीभादराय; रोग दोष सिवि तेहना ए माहालंतडे, निश्चइ टालइं अंतराय ॥३१॥ ॥३६॥ भण(इ)गुणइ जे नि(न)रवरु ए माहालंतडे, भाज मंत्रीसर रास; ऋद्धि वृद्धि कल्याण सहित ए माहालंतडे, पूरइं तीह सवि आस।।३२॥ ॥३७।।
॥ इति श्रीभादमन्त्रीश्वररासः समाप्तः ॥
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निवेदक- सम्पादक (श्रुतसागर)
१. देवगण.
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