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भादमंत्रीरास
गणि सुयशचंद्रविजयजी ‘मंत्री भाद' - आ नाम पूर्वे तमे क्यांय वांच्यु छे? तेमनां जीवननी घटना विषे क्यांयथी पण सांभळवा मळ्युं छे खरूं? कदाच तमारो जवाब 'ना' ज हशे अने अमारो पण 'ना' ज. अमारां माटे पण आ नाम तद्दन नवु ज छे. ज्यारे प्रस्तुत कृतिनी प्रत प्रथम वार जोवा मळी त्यारे अमने एम हतुं के आपणे त्यां पूर्वे जेम वस्तुपाल, तेजपाल, शांतनु जेवां मंत्रीओ थयां हतां तेमज भाद' पण कोई राजानां मंत्री हशे, अने ते मंत्रीए जिनालय आदिनां निर्माणमां के जीर्णोद्धारादिकमां पोतानी संपतिनो व्यय कर्यो हशे, तेथी कोई कविए ते मंत्रीनां सुकृतनी अनुमोदना करवा माटे प्रस्तुत कृतिनी रचना करी हशे. पण रासने वांचतां अमारी कल्पना साव निरर्थक ज ठरी. अहीं काव्यमां नथी कोई जिनालयादिनां जीर्णोद्धारदिकनी नोंध के नथी कोई संघादिकनां ओच्छवमहोच्छवनी नोंध. हवे तमने प्रश्न थशे तो पछी आ काव्यमा छे शु? चालो जोईए.
आदीश्वर भगवान जे गिरिराज पर ९९ पूर्व वार आवी समवसर्या, ते शत्रुजयगिरिनो महिमा पोतानां ज्ञानबळे जाणी कोई देव प्रभुनी भक्ति करवा अने प्रभुभक्तोनी पीड हरवा गिरिराजनी पावन भूमि पर आवीने वस्यां. अहीं काव्यमां कविए ते देवनां एटले के मंत्री भादनां दैवी माहात्म्य पर प्रकाश पाथर्यो छे. जो के कविए देव- भाद मंत्री के 'भाद राय' आq नाम कया कारणथी प्रयोज्यु छे, ते विशे अथवा भाद देव' पूर्वभवमां कोई राज-मंत्री रूपे होय, तो ते वखतनी कोई घटना पर के शा कारणथी ते मंत्री देव बन्यां, ते बाबतनो कशो खूलासो काव्यमां को नथी. पण एटलुं चोक्कस छे के कविनां जणाववा मुजब ‘मंत्री भाद' ओसवाळ ज्ञातिनां छे तथा आदीश्वर दादानां परम भक्त छे.
कृतिमां भाद देवनां माहात्म्यने वर्णवतां कवि कहे छे के कलिकालमा ज्यारे मंत्र, तंत्र, दिव्य औषधिओ निष्फळ जाय छे, त्यारे फक्त एक भाद देव ज कल्पवृक्ष समान छे. तेमने संभारतां शाकिनी, डाकिनी, भूत, प्रेत दूर चाल्यां जाय छे, रोगोनो नाश थाय छे, संतान सुखनी प्राप्ति थाय छे, सिकोतरी(देवी)नां दोषो, चारित्रनां तेमज आचार्यपद प्राप्तिनां अंतरायो टळी जाय छे.
उपरोक्त वातनी पुष्टि माटे कविए काव्यमां मंत्री भादनां केटलाक चमत्कारोनी वात पण आलेखी छे. जेमके भाद देवनी सहायथी सूरिमंत्र आराधक एक आचार्य
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