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संपादकीय
गजेन्द्र पढियार क्षमा व अहिंसा के संदेश को लेकर नजदीक आ रहे पर्युषण महापर्व की पावन प्रभा पर अहिंसाप्रधान लेखों से हराभरा, रोचक विवरणों से युक्त श्रुतसागर का यह अंक आपके कर कमलों में विद्यमान है. इस अंक के लेख आपके हृदय को जीवदयादि भावों से आर्द्र बनाकर पर्युषण की आराधना में बल देंगे. इस अंक मे गुरुवाणी स्तंभ के तहत योगनिष्ठ आचार्यदेव श्रीबुद्धिसागरसूरीश्वरजी म.सा. का लेख प्रकाशित किया गया है. जिसमें सामायिक, समभाव, निस्पृहता व निःसंगता की बातें वाचक को भौतिक आकर्षण से मुक्त करके उच्च आध्यात्मिकता के शिखर पर ले जाने में सक्षम है. द्वितीय लेख में राष्ट्रसंत प. पू. आ. भ. श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. के प्रवचनांशों की बुक Beyond Doubt से क्रमबद्ध श्रेणी के तहत संकलित किया गया है। ___ अप्रकाशित कृति प्रकाशन स्तंभ के तहत इस अंक में गणि श्री सुयशचंद्रविजयजी म. सा. द्वारा संपादित “संतिकरं स्तोत्रनी एक परिचयात्मक कृति” लेख को प्रकाशित किया जा रहा है. संतिकरं एक ऐसी कृति है जिसका स्मरण प्रतिदिन घर-घर में, हर संघ में किया जाता है. उसका गहन परिचय प्राचीन समय में किसी के द्वारा इतना सुंदर पद्यबद्ध करके दिया गया हो वह वाचकों के लिये एक विशेष बात कही जाएगी. कर्ता अज्ञात है, कृति संतिकरं के प्रभाव के बारे में बहुत कुछ बता देती है. पुनः प्रकाशन स्तंभ के तहत न्यायांभोनिधि प. पू. आ. श्री आत्मारामजी महाराज व अंग्रेज विद्वान डॉ. होर्नल के हुए पत्राचाररूप संवाद का लेख 'प्रश्नोतर' दिया गया है. जिससे वाचकों को दोनों विद्वानों की विद्वता व पाटपरंपरा के बारे में सुंदर माहिती प्राप्त होती है. यह लेख “जैन धर्म प्रकाश” विक्रम संवत १९४६ पुस्तक ६ अंक ५ में प्रकाशित हुआ था.
पर्युषण महापर्व के पावन प्रसंग पर हिंसा की भयानकता व अहिंसा की महत्ता को दर्शाने वाला लेख “वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अहिंसा का महत्व और विश्व अहिंसा दिवस की अवधारणा” दिया जा रहा है. जिसके लेखक इसरो के भूतपूर्व वैज्ञानिक श्री सुरेन्द्र पोखरणाजी है, जिन्होंने बहुत ही सटीक व चौका देने वाली माहिती दी है.
हमारे श्रुतसागर में हमने विविध ग्रंथमालाओं का परिचय देने वाली एक लेख शृखला प्रारंभ की है. जिससे वाचकों को पता चले कि कैसी ग्रथमालाएँ है व किस ग्रंथमाला की गरीमा क्या है. प्रकाशित विशिष्ट ग्रंथ क्या है. प्रस्तुत अंक में इस स्तंभ के तहत “पार्श्वनाथ विद्यापीठ ग्रंथमाला एक परिचय” लेख प्रकाशित किया जा रहा है, जो ज्ञानमंदिर के पंडित श्री राहुल त्रिवेदी द्वारा लिखा गया है.
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