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वैज्ञानिक दृष्टिकोणसे अहिंसा का महत्त्व और
विश्व अहिंसा-दिवस की अवधारणा
सुरेन्द्र सिंह पोखरणा (भू.पू. वैज्ञानिक, इसरो) आज अहिंसा और जीवदया की सबसे अधिक आवश्यकता है। सन १९७० से २०१० के चालीस वर्ष के अंतराल में पृथ्वी के आधे जीव-जंतु और पशु नष्ट हो गये। हर वर्ष पृथ्वी से लगभग २५,००० जीवों की प्रजातियाँ लुप्त हो रही हैं, जैसे कि आजकल काला हिरन, तितलियाँ, बिच्छू, सांप, चिड़िया वगैरह कम देखने को मिलते हैं। मेडिटेरनियन समुद्र (यूरोप और अफ्रीका के बीच) पर स्थित लगभग २० देशों द्वारा हर वर्ष लगभग २५० लाख चिड़ियाओं की हत्या की जाती है। एक और अन्य वेबसाइट के अनुसार हर वर्ष मांसाहार के लिये लगभग १५,००० करोड़ (१५० बिलियन) जीवों की हत्या की जाती है। इस वेबसाइट में एक काउण्टर लगा है जो हर समय में मरनेवाले जीवों की संख्या देता है। उसके नीचे दी गयी तालिका में लेखक ने जब दो मिनट तक इस वेबसाइट को देखा, उस दौरान पूरे विश्व में मारे गये जीवों की संख्या दी गयी है
कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार इस पृथ्वी पर बढ़ते हुए प्रदूषण, जनसंख्या और वातावरण में बदलाव के कारण, अब सिर्फ छः वर्ष बचे हैं, जिसके बाद, 1.जब http://www.adaptt.org/killcounter.html वेबसाइट खोली उसके दो मिनट के अंतराल में मारे गए जीवों की संख्या यानि जुलाई २९ को दोपहर में ०४:४० से ०४:४२ के बीच के २ मिनट में निम्न थी३३६,४०१ समुद्री जीव १७१,५४६ मुर्गियाँ ८,४५५ बतख
४,६५० सूअर ३,२०३ खरगोश
२,५८३ तुरकेयस (एक प्रकार की चिड़िया) १,९९२ एक तरह का हंस १,९२५ भेड़ १,२९० बकरे
१,०९१ गायें और बछड़े २४३ चूहे
२३५ कबूतर और दूसरी चिड़ियाएँ
५२ कुत्ते १५ बिल्लियाँ
१५ घोड़े ११ गधे और खच्चर
७ उँट वगेरह
६० भैंसे
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