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श्रुतसागर
जनवरी-२०१६ उपर्युक्त विश्लेषण से इतना स्पष्ट हो जाता है कि महावीर के जन्मस्थल के दो नाम कुंडपुर और कुंडग्राम अधिकता से प्रचलित थे। पहले वह नगर या पुर के रूप में ज्ञात नही था परंतु एक संनिवेश और ग्राम की तरह ही उसका उल्लेख होता था। बाद में उसे स्वतंत्र रूप से पुर और नगर की भी संज्ञा दी गयी है। उनका उल्लेख जिन जिन ग्रन्थों में और जिस-जिस प्रकार से हुआ है उसका व्यौरा निम्न प्रकार से दिया जा सकता है - १. जन्मस्थल के नाम के विविध प्रकार :
१. कुंडपुर- आचारांग, कल्पसूत्र, तित्थोगाली, आवश्यक-चूर्णि, हरिभद्रीय आवश्यकवृत्ति, चउप्पन महापुरिसचरिय, अभयदेवकृत स्थानांगवृत्ति, जयधवला, जिनसेनीय हरिवंशपुराण, गुणभद्रीय उत्तरपुराण और पुष्पदंतीय अपभ्रंश-महापुराण।
२. कुंडग्गाम- भगवतीसूत्र, कल्पसूत्र, आवश्यक नियुक्ति, आवश्यकभाष्य, विशेषावश्यकभाष्य, आवश्यकचूर्णि, हरिभद्रीय आवश्यकवृत्ति, विमलसूरीय पउमचरियं, चउप्पन महापुरिस चरियं, गुणचन्द्रीय महावीर चरियं
और हेमचन्द्रीय त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरितम्। __३. कुंडल- तिलोयपण्णत्ति। २. विशेषताद्योतक उल्लेख :
१. संनिवेश- आचारांग, गुणचंद्रीय महावीर चरियं, हेमचन्द्रीय त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरितम्।
२. ग्राम- चउप्पन्न महापुरिस चरियं ।
३. नगर- भगवतीसूत्र, कल्पसूत्र, आवश्यकचूर्णि, हरिभद्रीय आवश्यकवृत्ति, चउप्पन्नमहापुरिसचरियं, गुणचन्द्रीय महावीर चरियं और जयधवला।
४. पुर- विमलसूरिय पउमचरियं, जिनसेनीय हरिवंशपुराणम्, चउप्पन महापुरिस चरियं, गुणचन्द्रीय महावीरचरियं और हेमचन्द्रीय त्रिषष्टि शलाकापुरुष चरितम्।
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