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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR SEPTEMBER-2014 ते जोवा लायक छे. ते नगरनो कोट कोस ४००नो छे. ते नग्रनो कोट तांबानो छे त्यांना राजानो मेल सपेत धातुनो छे. राजानो नाम धीरसेन माराजा छे. ते वरधमान राज करे छे. त्यां वेपारी लोको हीरा-मोती-माणक-जवार-सोनो-रूपो-रतन सरव वेचे छे, ने सरव आप अपना हाट उघाडा मुकीने सर्वे सरवना घर जाय छे, पण कोइ कोइनी चीज लेवा पामतो नथी. एवा सर्वे लोको मोटा धरमी छे. ते नग्रनो बाजार कोस ६० नो छे. ते नग्र मध्ये श्री जैन परसादना देहरा नग ७०० छे त्याना राजा परजा सरवे जेनधरमी छे. ते जेन वीना बीजा कोइ देवने मानतो नथी. ते प्रतमानी गणती निचे लीखी छे. श्री जेन प्रतिमा १५००० पासाणनी छे, ने ४००० लीला माणकनी छे. तेमां ३४८६ प्रतमायो धातुनी छे. ११९० प्रतमायो एक सरवणी रत्ननी छे. १६ प्रतमायो बावना चंदननी छे, ने ११ प्रतमायो गोरुचंदननी छे, ने ९ प्रतमायो माणकनी आंगली १ प्रमाण छे, ने ५४५ प्रतमायो लाल रत्ननी छे. ने ४८७ प्रतमायो काला रत्ननी छे, ने १ प्रतमा सांचा मोतीनी छे, ने ४ प्रतमायो लाल रत्ननी आंगली १ प्रमाण छे, ने ४ प्रतमायो हीरानी छे, ने ५ प्रतमायो लसणीयानी छे आंगली १ प्रमाण छे. सर्व मिली एकंदर प्रतमा २४७६४ छे. त्यांना राजानो चोक छे ने चोक मध्ये श्रीरीखवदेवजीनो देहरो छे. तेनो उंचपणो कोस ४नो छे. त्यां एक एक दीसायो मंडप नग ९ छे. च्यार दियां मिली मंडप नग ३६ छे ने जिन परसादनो कोट तांबानो छे ने ते कोटना थंभा रूपाना छे. तेने बीजा थांभा सोनाना गंभाराना छे तथा परसाद संघासन सोनाना छे, तथा जडावना छे, संघासण उपर प्रतमायो नग ३ चोविसीनी छे. ते प्रतमायोनो वरन आपआपोना जुदा जुदा रंगनी छे, ते पण सपेत तथा लीलो तथा कालो एवा रंग आपआपना वरण छे. त्यांनो राजा दिन प्रते निकली पूजा करे छे. ते राजा बहुगुणी छे, तथा जैनधरमी छे. तथा समतावान छे, तथा सीयलवान छ, जसवंत छे, गुणवंत छे, विनेवंत छे सर्वे गुणकरी वीराजमान छे, ते नग्रमध्ये अमो दीवस ४२ रहा हुंता, ने बीजा पण देहरा घणा सारा छे, ते देराना मध्ये प्रतमायो सुवरणनी छे तथा जडावनी छे, गणती नग १३२ छे, तेहां बिजी प्रतमायो नग १०५ छे ते फटकरतननी छे. ते प्रतमायोना दरसन कर्या छे. ते नग्र मध्ये श्रावक महाकुटंबी छे. तथा महाधरमी छे, तप जप मध्ये सरवे पुरण छे. ते देहराना भंडार मध्ये द्रव्य क्रोड ९० नीवेनो छे. ते देहराना भंडार मध्ये जवला गवला तथा बीजा गवलाना ग्रंथ छे, ते ग्रंथोना सलोक १०४००० छे. ते बीजा For Private and Personal Use Only
SR No.525293
Book TitleShrutsagar 2014 09 Volume 01 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai L Shah
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size5 MB
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