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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir योगनिष्ठ आचार्यश्री बुद्धिसागरसूरिजीनं जीवन अने कवन कनुभाईल. शाह ज्ञानयोगी, ध्यानयोगी अने कर्मयोगी तरीके जेमनी ओळख बनी छे एवा आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजीनुं 'सूरिपद' नुं आ शताब्दी वर्ष छे. आ योगीने अढारे आलमना लोकोए 'अवधूत' नुं बिरुद आप्युं छे. आ जनसमूह योगीजीने संत तरीके आदरमान आपे छे. तेमज समाजसुधारक तरीके विशेष भावथी अने मानथी जूए छे. घंटाकर्णवीरनो प्रादुर्भाव अने महूडीमां एमनी स्थापना अने प्रतिष्ठा करावीने लोकोने कुरिवाजो अने अंधश्रद्धानी बदीओथी दूर करीने एक साचा 'वीरत्व' नी प्रेरणा पूरी पाडी छे. समाज अंधश्रद्धा अने क्रियाकांडोनी नागचूडमां फसायो हतो, शिक्षणनो प्रचारप्रसार तेमना प्रारंभिक तबक्काओमां हतो तेवा समये प्रजामां नवी जागृतिनी लहेर प्रसराववा ओगणीसमी सदीना उत्तरार्धमा अने वीसमी सदीना प्रारंभे वि. सं. १९३०, महावदि चौदश, महाशिवरात्रिना दिने गुर्जरदेशनी गुणियल भूमि विजापुरमां एक कणबी कुटुंबमां बहेचरदासनो जन्म थयो हतो. मातानुं नाम अंबा अने पितानुं नाम शिवा पटेल हतुं. बाळक बहेचर प्रथमथी ज वडीलोनी शिखामण ग्रहण करीने सत्य, अहिंसा अने दयाना पाठो शीख्यो हतो. पितानो धंधो खेतीनो एटले बहेचरने खेती करतां साधु-संतोनी सेवा करवानो अने भजनो सांभळवानो अपूर्व शोख हतो. बहेचर बाळपणथी सरस्वती देवीना अठंग पूजारी हता. गोखलामां सरस्वती देवीनी छबी मूकी तेनी सामे निरंतर आराधना करता. तेमना परम मित्र श्री डाह्याभाईनी सहायथी प्राचीन ग्रंथोमांथी एक सरस्वती देवीनो मंत्र मळ्यो. मंत्र स्मरणना प्रभावे चित्त स्थिर थयुं, धर्म प्रत्येनी आस्था दृढ बनी. समयना वहेण साथे बहेचरनो श्री रविसागरजी म. सा. साथै परिचय थयो. साधु सत्संगथी लौकिक जीवनमांथी रस ओछो थतो गयो. श्री बहेचरे श्री रविसागरजीने पोताना गुरु बनाव्या. वि. सं. १९४५मां शास्त्राभ्यास करवा अमदावादनी विद्याशाळामां पंदर वर्षनी उंमरे दाखल थया. अभ्यासने लीधे दर्शन, पूजन, स्वाध्याय अने आवश्यक क्रियाओ एमनां जीवननां अभिन्न अंग बन्यां. पू. रविसागरजीनी प्रेरणाथी वधु अभ्यास माटे तेओ महेसाणा गया. महेसाणामां श्री यशोविजयजी जैन संस्कृत पाठशाळामां तलस्पर्शी अध्ययन कर्यु. अध्ययन बाद एमने वैराग्यनी भावना होवाथी माता - पिताना मृत्यु बाद बहेचरदासे पालनपुर For Private and Personal Use Only
SR No.525292
Book TitleShrutsagar 2014 08 Volume 01 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai L Shah
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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