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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 10 श्रुतसागर अगस्त-२०१४ इनका व्यक्तित्व-कृतित्व चतुर्विध श्रीसंघरूपी गगन में नक्षत्र की भाँति देदीप्यमान है. राजस्थान के आबूतीर्थ समीप हमीरपुर गाँव में श्रावक श्री वेलग शाह की धर्मपत्नी विमला देवी की कुक्षि से वि.सं.१५३७ चैत्र शुक्ल नवमी शुक्रवार के पावन दिन इनका जन्म हुआ. बाल्यकाल के लघुतम ९ वर्ष में ही संवत् १५४६ के अक्षयतृतीया के पुण्यदिवस को इन्होंने सांसारिक जीवन से विरक्त होकर आचार्य श्री साधुरत्नसूरि के द्वारा दीक्षा ली. संयमजीवन की मंगलमयी यात्रा निर्विघ्न रूप से गतिशील रही. अद्वितीय प्रतिभा के धनी पार्श्वचंद्र को वि.सं.१५५४ अक्षयतृतीया के दिन नागौर-राज. में उपाध्यायपद से विभूषित किया गया. वि.सं. १५६५ वैशाख शुक्ल तृतीया को जोधपुर में आचार्यपद से अलंकृत किया गया. इसी कड़ी में संवत् १५९९ के अक्षयतृतीया के ही पावन दिन में शंखलपुर-गुजरात में युगप्रधान पद पर इन्हें आरोहित किया गया. अपने संयम जीवन में जिनशासन के अनेक मंगलकारी कार्य करते हुए चंद्रोद्योतसम उज्ज्वल यशस्वी जीवन व्यतीत कर ७५ वर्ष की आयु में वि.सं.१६१२ मार्गशीर्ष शुक्ल तृतीया रविवार को जोधपुर (राज.)में समाधिपूर्वक कालधर्म हुआ. इनकी विशेषता रही है कि १८ लिपियाँ व विविध भाषाओं के कुशल विद्वान, संस्कृत-प्राकृत के निष्णात, आगमादि गहन पदार्थों के ज्ञाता होने पर भी इन्होंने जनसामान्य को ध्यान में रखते हुए अधिकाधिक रचनाएँ लोकभाषा में की हैं. आगमों पर रचित अभयदेवसूरि, शीलांकसूरि व जिनहंससूरि की संस्कृत टीकाओं को सरलतम ढंग से समझाने हेतु बालावबोध व टबार्थ की भी रचनाएँ इन्होंने की हैं, जो लोकोपकारी हैं. इनके जीवन की कुछेक उल्लेखनीय घटनाएँ तो जानने योग्य हैं. ___वि.सं.१५६४ नागोर (राज.) में क्रियोद्धार कराना. आपश्री के संयमग्रहण से लेकर कालधर्म तक शुक्ल पक्ष तृतीया का सुन्दर संयोग पाया गया है. आपसे प्रभावित हो जोधाणा नरेश राव मालव को आपसे मिलना व श्रावक बनना. रत्नपुरी में आपके उग्रतप से प्रभावित होकर क्षेत्रपाल बटुकभैरव का शासनसेवा हेतु आपके पास आना. अहमदाबाद के चौमासे में पधारे तो उस समय प्लेग रोग से पूरा नगर प्रभावित था, जनसमुदाय को रोगग्रस्त देख अपने तपप्रभाव से नगर को रोगमुक्त किया. कसाईयों द्वारा वध हेतु लिये जाते गाय को वासक्षेप द्वारा अदृश्य करना. तत्कालीन नवाब को अहिंसक बनाना. गुजरात के उनावा गाँव में एक सोनारन द्वारा For Private and Personal Use Only
SR No.525292
Book TitleShrutsagar 2014 08 Volume 01 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai L Shah
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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